परिजनों को सौंपे गए मारे गए नक्सलियों में से दो के शव
भेलवाघाटी के जंगल में पुलिस मुठभेड के क्रम में मारे गए तीन में से दो नक्सलियों का शव उनके परिजन कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने पैतृक गांव ले गए।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: भेलवाघाटी के जंगल में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए तीन में से दो नक्सलियों के शव उनके परिजन कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने घर ले गए। चकाई थाना क्षेत्र के बेहरा गांव निवासी माणिकचंद मुर्मू व बरखुटिया गांव निवासी संजय हांसदा उर्फ प्रभात हांसदा के शव परिजन ले गए हैं।
माणिकचंद का शव लेने उसके भाई जिप सदस्य रामलखन मुर्मू अपने परिवार के दस अन्य सदस्यों के साथ मंगलवार रात करीब आठ बजे अस्पताल पहुंचे। पुलिस पदाधिकारियों ने रात होने का हवाला देते हुए बुधवार की सुबह शव सौंपे जाने की बात कही। बुधवार की सुबह भेलवाघाटी थाना प्रभारी एमजे खान सदर अस्पताल पहुंचे और मृतक के भाई से आवश्यक कागजी प्रक्रिया पूरी कराई। मौके पर खोरीमहुआ के एसडीपीओ राजीव कुमार व नगर थाना प्रभारी आदिकांत महतो ने भी पहुंचकर मृतक के भाई से काफी देर तक पूछताछ की।
इधर, संजय हांसदा उर्फ प्रभात हांसदा के पिता पूरन हांसदा समेत गांव से अन्य लोग भी शव लेने पहुंचे। पहचान कराकर शव उन्हें सौंप दिया गया। मुठभेड़ में मारे गए एक और नक्सली चरकापाथर थाना क्षेत्र के तेतरिया निवासी सुनील उर्फ विजय मरांडी के शव को लेने अबतक परिजन नहीं पहुंचे। शव को पोस्टमार्टम हाउस में ही रखा गया है।
फर्जी है संजय हांसदा का आधार कार्ड: जिस संजय हांसदा उर्फ प्रभात हांसदा को उसके परिजन बेकसूर व निर्दोष करार दे रहे हैं, उसका आधार कार्ड फर्जी है। यह दावा खोरीमहुआ के एसडीपीओ राजीव कुमार ने किया। आधार कार्ड को चकाई बाजार में बनाने की बात उसके पिता ने बताई है। आधार कार्ड पर छपे क्यूआरकोड से कोई जानकारी पुलिस को नहीं मिल सकी। नगर थाना प्रभारी आदिकांत महतो ने कहा कि जिस कार्यक्रम में संजय के जाने की बात परिजन बता रहे हैं, वह कार्यक्रम स्थल उसके घर से करीब 30 किलोमीटर दूर है। साथ ही जिस बाइक से अकेले जाने की बात बताई जा रही है, वह बाइक कहां गई। अगर वह दूसरे के साथ गया था तो बिना जान-पहचान के क्यों गया? अन्य बिदुओं पर भी जांच की जा रही है।