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इच्छाओं का निरोध करना ही उत्तम तप

संस, सरिया (गिरिडीह): भारतीय संस्कृति में तप का विशेष महत्व होता है, जिसके बल पर व्यक्ति

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 06:43 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 06:43 PM (IST)
इच्छाओं का निरोध करना ही उत्तम तप
इच्छाओं का निरोध करना ही उत्तम तप

संस, सरिया (गिरिडीह): भारतीय संस्कृति में तप का विशेष महत्व होता है, जिसके बल पर व्यक्ति परमात्मा की शक्ति को प्राप्त करता है। यह बातें दशलक्षण महापर्व के दौरान दिगंबर जैन मंदिर सरिया में राजस्थान से आए दीपेश जैन शास्त्री ने अपने प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इच्छाओं का निरोध करना ही तपस्या है। लोगों को विषय भोगों से दूर रहना चाहिए। जिस प्रकार अग्नि सोना को शुद्ध करती है वैसे ही तप आत्मा को शुद्ध करता है। दूध को गर्म करने से पूर्व पात्र को गर्म करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार आत्मा की शुद्धि हेतु बहिरंग तप आवश्यक है। बिना तप किए कोई कार्य संभव नहीं होता। जिस प्रकार किसान 4 माह तपकर अनाज पाता है, विद्यार्थी अपने विद्यार्थी जीवन में तप कर नौकरी पाते हैं, नारी नौ माह तप कर संतान का मुख देख पाती है ठीक उसी तरह व्यक्ति इच्छाओं को त्यागकर आत्मा से परमात्मा की ओर उन्मुख होता है।

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शास्त्री ने उपस्थित लोगों से भौतिकतावादी वस्तुओं से दूर रहकर अभावग्रस्त लोगों की मदद करने की सीख दी। वहीं दशलक्षण पर्व के दौरान धार्मिक अंताक्षरी, धार्मिक हौजी सहित कई मनोरंजक कार्यक्रम किए गए। कार्यक्रम में संतोष जैन, बबलू जैन, राजेश सेठी, मोनिला जैन, विकी जैन, अंबर जैन, रेणु बैनाड़ा, अर्चना सेठी, सुशीला झांझरी, निर्मला जैन, ¨डपल जैन, ¨मटू जैन, राजीव जैन, सचिन जैन, विमल जैन, प्रकाश झांझरी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।


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