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सात समंदर पार से आने को बेकरार

बगोदर प्रखंड का यह माहुरी गांव है। प्रखंड मुख्यालय से यहां की दूरी मुश्किल से तीन से साढ़े तीन किमी. होगी। यह गांव कोनार नहर के किनारे बसा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 07:00 AM (IST)
सात समंदर पार से आने को बेकरार
सात समंदर पार से आने को बेकरार

दिलीप सिन्हा, बगोदर(गिरिडीह) : बगोदर प्रखंड का यह माहुरी गांव है। प्रखंड मुख्यालय से यहां की दूरी मुश्किल से तीन से साढ़े तीन किमी. होगी। यह गांव कोनार नहर के किनारे बसा है। होली का त्योहार आनेवाला है। इस गांव में अभी होली की तैयारी कहीं दिख नहीं रही है। गांव की पगडंडी से आ रहे इस गांव के निवासी एवं उप मुखिया शंकर पटेल ने पूछने पर बताया कि होली की तैयारी क्या करेंगे साहब। नौकरी कर अपने परिवार को चलाने के लिए सात समंदर पार गए इस गांव के सात लोग विदेशों में फंसे हुए हैं। इनमें से अधिकांश युवा हैं। जब पड़ोसी परेशानी में हो तो हम खुशी कैसे मना सकते हैं। यदि इनकी घर वापसी हो जाए तो फिर पूरे गांव में होली का जश्न मनेगा। इस गांव के हुलास महतो को अफगानिस्तान में ड्यूटी जाने के दौरान तालिबानियों ने 6 मई 2018 को अगवा कर लिया था। आज करीब 21 महीने बाद भी उसका कोई अता-पता नहीं है। परिवार की क्या स्थिति होगी, कोई भी इसका अंदाजा लगा सकता है।

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माहुरी गांव में कुर्मी महतो, मुस्लिम एवं दलित वर्ग के लोग अधिक हैं। इस गांव की आबादी करीब पांच हजार है। रोजगार के नाम पर एकमात्र साधन खेती है। पानी के अभाव में यहां के लोग खेती भी नहीं कर पाते हैं। वैसे कोनार सिचाई योजना चालू होने के बाद इस गांव के खेतों तक पानी पहुंचेगा।

इस कारण, मजदूरी करने यहां के युवक देश के विभिन्न राज्यों की बात छोड़िए विदेशों में भी पलायन कर गए हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी का लालच देकर एजेंट इन्हें विदेश ले गए। वहां जाकर इन्हें एहसास होता है कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं। ठेकेदार के अंदर इन्हें काम मिलता है। जैसे ही ये विदेश की धरती पर उतरते हैं, नियोजन देने वाले ठेकेदार इनका वीजा जब्त कर लेते हैं। इसके बाद इनकी स्थिति बंधुआ मजदूर की हो जाती है।

माहुरी गांव के ही राजू पासवान, खुबलाल पासवान, विजय कुमार महतो एवं योगेंद्र कुमार ओमान में फंसे हुए हैं। छह माह पूर्व ये कंपनी में नौकरी करने के लिए ओमान गए थे। वहां पहुंचने के बाद बंधुआ मजदूर बन गए। इन्हें उचित मजदूरी भी नहीं दिया गया। भोजन पर संकट है। मदद के लिए विदेश मंत्रालय से गुहार लगा रहे हैं। इसी गांव के दो अन्य युवक अकबर अंसारी व इबरान अंसारी सउदी अरब में फंसे हुए हैं। दोनों तीन महीने पूर्व रोजी-रोटी की तलाश में सऊदी अरब गए थे लेकिन अब दोनों वहां बंधुआ मजदूर बनकर रह गए हैं। दोनों ने किसी तरह से मोबाइल के जरिए उसने अपने परिवारवालों से संपर्क साधकर मदद की गुहार लगाई है।

ओमान में फंसे विजय कुमार महतो की मां हसिया देवी, पत्नी कलावती देवी काफी दुखी हैं। दोनों ने बताया कि घर चलाने के लिए विदेश गया था। यह पता होता कि वहां फंस जाएगा तो कभी भी जाने नहीं देते।

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विदेश मंत्रालय करे हस्तक्षेप : सिकंदर

प्रवासी मजदूरों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली विदेशों में फंसे मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए विदेश मंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने सभी प्रभावित परिवारों को आर्थिक मदद देने की अपील सरकार से की है। बताया कि गिरिडीह के डीसी के निर्देश पर माहुरी के इन परिवारों को बगोदर के बीडीओ ने चावल दिए लेकिन दो परिवारों को छोड़ दिया।

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मलेशिया में फंसे सरिया के दो मजदूरों की वापसी की पहल शुरू

मलेशिया में फंसे सरिया के दो प्रवासी मजदूर श्रीरामडीह के विकास महतो एवं लुतियानो के लोकनाथ महतो की वापसी के लिए राज्य सरकार ने पहल शुरू कर दी है। गिरिडीह के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इस संबंध में राज्य सरकार के गृह कारा, आपदा प्रबंधन उप सचिव को रिपोर्ट भेज दिया है। रिपोर्ट में जांच के बाद बताया है कि मलेशिया में दोनों नजरबंद है। उनकी सकुशल देश वापसी के लिए आगे की कार्रवाई की जा सकती है। उप सचिव ने उपायुक्त से जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। सउदी अरब में मृत ग्यासुद्दीन अंसारी का शव उसके पैतृक गांव लाने की भी पहल सरकार ने शुरू कर दी है। वे गावां प्रखंड के गड़गी गांव के रहने वाले थे। उनका निधन 24 फरवरी को सउदी अरब में हो गया था। वहां से शव भारत मंगवाने के लिए जो भी आवश्यक कागजात थे, उसे गिरिडीह जिला प्रशासन ने भेज दिया है।


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