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अचेत बेटी को गोद में लेकर भटकता रहा पिता

अक्सर किसी न किसी मामले को लेकर सदर अस्पताल चर्चाओं में बना रहता है। ऐसा ही एक मामला चिकित्सक की उदासीन रवैये के कारण शुक्रवार को मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया। गोद में सात साल की बीमार बेटी भारती को बगैर इलाज कराए हाथों में अस्पताल का पूर्जा लिए एक असहाय पिता बेंगाबाद प्रखंड के ओझाडीह गांव निवासी प्रकाश मोहली चैताडीह का पता पूछता हुआ निराश

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:19 AM (IST)
अचेत बेटी को गोद में लेकर भटकता रहा पिता
अचेत बेटी को गोद में लेकर भटकता रहा पिता

गिरिडीह: अक्सर किसी न किसी मामले को लेकर सदर अस्पताल चर्चा में बना रहता है। चिकित्सक के उदासीन रवैये के कारण शुक्रवार को मानवीय संवेदना तार-तार हो गई। गोद में सात साल की बीमार बेटी भारती को बगैर इलाज कराए हाथों में अस्पताल का पुर्जा लिए एक असहाय पिता बेंगाबाद प्रखंड के ओझाडीह निवासी प्रकाश मोहली चैताडीह निवासी का पता पूछता हुआ निराश होकर घर लौट रहा था।

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संयोग ही कहा जाएगा कि उसी रास्ते से सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर महेन्द्र कुमार अपने सहयोगी के साथ कैंप लौट रहे थे। सर्किट हाउस के समीप मुख्य पथ पर गोद में अचेत व बीमार बच्ची को लेकर जाते एक व्यक्ति पर नजर पड़ गई। मानवता के नाते दोनों ने रुककर बच्ची को गोद में लेकर जाने का कारण पूछा तो उसने आपबीती सुनाई। इसके बाद बच्ची को उसके पिता के साथ बाइक पर लेकर सबसे पहले बरगंडा स्थित एक चिकित्सक के आवास पर लेकर गए और उसका इलाज कराया। बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां इमरजेंसी सेवा में तैनात चिकित्सक से सारी बातें बताई। इसके बाद भारती की चिकित्सीय जांच की गई। जांच करने के बाद बीमार बच्ची को बेहतर चिकित्सीय सुविधा प्रदान करने को वार्ड में भर्ती किया गया जहां उसक इलाज किया जा रहा है।

बिना इलाज के भेज दिया चैताडीह: प्रकाश मोहली ने बताया कि बुखार से तपती बेटी भारती को इलाज के लिए शुक्रवार को सवा तीन बजे के करीब सदर अस्पताल लेकर आया। यहां आने के बाद उसने एक पर्ची कटवाई। गोद में बेटी व हाथ में पर्ची लेकर वह चिकित्सक के कक्ष में गया लेकिन ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने भारती का इलाज करने के बजाए उसे चैताडीह ले जाने की सलाह दे दी। उसे चैताडीह जाने के रास्ते के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। परेशान होकर चैताडीह के बारे में पता किया लेकिन समझ में नहीं आने के कारण वह भटकते हुए सर्किट हाउस के पास पहुंच गया। वहां कुछ समझ में नहीं आने पर वह वापस घर लौटने जा रहा था कि तभी इंस्पेक्टर महेन्द्र की नजर उस पर पड़ गई तो उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया गया। प्रकाश ने बूझे मन से कहा कि गरीब को देखनेवाला कोई नहीं है। बेटी की तबीयत इतनी खराब है लेकिन डॉक्टर ने उसे हाथ लगाकर भी नहीं देखा।

रात से ही तेज बुखार से पीड़ित थी बच्ची: पीड़ित बच्ची के पिता प्रकाश मोहली ने बताया कि रात में एकाएक उसे तेज बुखार हो गया। बच्ची को ठंड लग गई है। वह शाम में ठीक थी। रात में सोने के बाद अचानक ठंड से कांपने लगी। घर में जो भी गर्म कपड़ा व ओढ़ने को था उससे उसे राहत दिलाने का प्रयास किया गया, लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। दिन में भी अपने स्तर से प्रयास किया गया लेकिन सुधार नहीं होने पर सदर अस्पताल लेकर आए।


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