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फूलों से खिल उठी जिंदगी की फुलवारी

कहते हैं किसी काम को मेहनत और लगन से की जाए तो पत्थर में भी फूल उगाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गरीबी में पले बढ़े गिरिडीह के बेंगाबाद प्रखंड अंतर्गत मोहनपुर गांव निवासी मो. वसीम ने। इसने सब्जी की खेती के साथ साथ गेंदा फूल की बागवानी कर इसकी खुशबू से अपने जीवन की बगिया को महका लिया है और इसकी आमदनी से वह परिजनों का भरण पोषण कर रहा है। वसीम के खेत में लहलहाते गेंदा फूल को देख उपायुक्त राहुल कु

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 07:00 AM (IST)
फूलों से खिल उठी जिंदगी की फुलवारी
फूलों से खिल उठी जिंदगी की फुलवारी

मुजतबा अंसारी, गिरिडीह : मेहनत और लगन से पत्थर में भी फूल उगाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गरीबी में पले-बढ़े गिरिडीह के बेंगाबाद प्रखंड के मोहनपुर गांव निवासी मो. वसीम ने। इसने सब्जी की खेती के साथ-साथ गेंदा फूल की बागवानी कर इसकी खुशबू से अपने जीवन की बगिया को सुगंधित कर लिया है। इसकी आमदनी से वह परिजनों का अच्छे से भरण-पोषण तो कर ही रहा है, कई लोगों को इससे रोजगार भी मिल रहा है।

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वसीम के खेत में लहलहाते गेंदा फूल को देख उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा का भी दिल बाग-बाग हो गया।

युवा किसान वसीम ने बताया कि किसी तरह वह इंटर तक पढ़ाई कर सका। घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ना पड़ गया। इसके बाद वह पलायन कर लुधियाना चला गया। वहां वह कुछ वर्षों तक टी-शर्ट होजरी में काम करने के बाद वापस अपने गांव आकर पिकअप वैन खरीदा। वाहन से भी आमदनी अच्छी नहीं होती थी। उसकी आमदनी से वैन की किस्त भरना तो दूर दो वक्त की रोटी का भी जुगाड़ नहीं हो पा रहा था। इस पर पिता जी के कहने पर उसने वाहन को बेच कर खेती, बागवानी का काम शुरू कर दिया। बताया कि उसने खेती बागवानी करने के लिए जेएसएलपीएस के माध्यम से बेंगाबाद एवं रांची में प्रशिक्षण लिया।

टपक सिंचाई का किया प्रयोग

आज वह टपक सिचाई एवं वैज्ञानिक पद्धति से तरबूज, खीरा, करेला, टमाटर, मिर्ची, झींगा, कद्दू आदि की खेती के साथ-साथ गेंदा फूल की भी खेती कर रहा है। तैयार फूल को वह देवघर एवं गिरिडीह में बिक्री करता है। पूजा व विवाह के लगन के समय गेंदा फूल से अच्छी आमदनी हो जाती है। घर में फूलों की माला बनाकर बेची जाती है।

वसीम ने बताया कि खेती बागवानी से प्रतिमाह पंद्रह से बीस हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। इसके अलावा कड़कनाथ मुर्गा पालन का काम शुरू किया गया है। आज खेती बागवानी से उसे रोजगार मिला ही है, उसने अपने यहां पांच अन्य लोगों को रोजगार भी दिया है। उसने बताया कि पूर्व में इस गांव के लोग बहुत कम खेती करते थे, इससे प्रेरणा लेकर आज गांव के कई लोग खेती बागवानी का काम शुरू कर दिया है। इससे किसान खुशहाल हो रहे है और काफी हद तक पलायन भी रुका है।

वसीम ने बताया कि उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा पदाधिकारियों की टीम के साथ पांच दिनों पूर्व यहां आकर गेंदा फूल की खेती को देखकर काफी खुश हुए। उन्होंने खेती से संबंधित तरीके की जानकारी लेने के बाद गुलाब फूल की भी खेती करने की बात कही है। उन्होंने आश्वासन भी दिया कि खेती करने के लिए जो सरकारी मदद होगी दिया जाएगा।


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