सरकार बदली पर कटकोको की आज भी नहीं बदली तस्वीर
संस तिसरी आजादी के बाद व झारखंड अलग होने के बाद भी गड़कुरा पंचायत के कटकोको गांव की तस्वीर आज भी नही बदली है।प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किमी दुर स्थित गांव कटकोको में आदिवासी बाहुल जाति के लोग निवास करते है।इसके अलावा यादव व घटवार जा
त्रिभुवन कुमार, तिसरी : आजादी के सात दशक बाद भी गड़कुरा पंचायत के कटकोको गांव की तस्वीर नहीं बदली है। प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किमी दूर स्थित कटकोको आदिवासी बहुल गांव है। यहां यादव व घटवार जाति के लोग भी रहते हैं। इस गांव तक जाने के लिए दुर्गम कच्ची सड़क है।
सरकार आदिवासियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन इसका वास्तविक लाभ आदिवासियों को नहीं मिल रहा है। आज भी आदिवासी परिवार समस्याओं से घिरा हुआ है। अत्यंत गरीब, असहाय बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन भी नहीं मिल पा रही है।
कटकोको गांव में लगभग चालीस से अधिक घर हैं। लगभग 250 वोटर यहां हैं। चारों तरफ पहाड़ों से घिरा व ऊंचे स्थान पर बसा हुआ है। रोजगार का साधन ढिबरा था, लेकिन वह कारोबार अभी बंद है। इसके अलावा यहां कोई रोजगार नहीं है।
मनरेगा योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। यहां के लोग अन्य प्रदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं। गांव में विजय टुडू से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि उनकी माली हालात काफी खराब है। उन्हें तीन पुत्री व दो पुत्र हैं। जीविकोपार्जन के लिए गांव के जानवरों की देखभाल वह करते हैं। एक साल पूर्व उनका एक कमरे का खपरैल मकान आग लगने से जल गया था। सरकार व किसी जनप्रतिनिधि से मदद उन्हें नहीं मिली। किसी तरह खपरैल घर की मरम्मत कराई। सरकारी आवास के लिए यहां के लोगों को तारणहार की तलाश है। गांव की 70 वर्षीय रानियां हेंब्रम, 66 वर्षीय बुधन टुडू को बुजुर्ग व अत्यंत गरीब रहने के बाद भी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिला है। गांव की बसंती मुर्मू ने कहा कि गांव में बरसात के समय कच्ची सड़क काफी खराब हो जाती है जिसपर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। जोबा मुर्मू ने कहा कि गांव के विकास के लिए किसी ने कोई भी कदम नहीं उठाया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बना है पर कई घरों मे यह अभी भी नहीं बना है। प्रधानमंत्री आवास जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल रहा है।
गांव में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें सरकारी मानकों के अनुसार पेंशन व राशन मिलना चाहिए लेकिन वे फिलहाल इस सुविधा से वंचित हैं।