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धनेता गांव पर नहीं पड़ी माननीयों की नजर

धनवार विधानसभा क्षेत्र के गावां प्रखंड में आज भी कई गांव टोले ऐसे हैं जहां आज तक न तो पक्की सड़कें बन पाई है और न ही यहां के लोगों को बिजली स्वास्थ्य पेयजल आदि की सुविधाएं ही मयस्सर हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 12:00 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 12:00 PM (IST)
धनेता गांव पर नहीं पड़ी माननीयों की नजर
धनेता गांव पर नहीं पड़ी माननीयों की नजर

संदीप बरनवाल, गावां : धनवार विधानसभा क्षेत्र के गावां प्रखंड में आज भी कई गांव टोले ऐसे हैं जहां आज तक न तो पक्की सड़कें बन पाई है और न ही यहां के लोगों को बिजली, स्वास्थ्य, पेयजल आदि की सुविधाएं ही मयस्सर हो पाई है। दलित गांव धनेता घुसते ही महिलाएं व पुरुष गांव से बाहर आकर ऐसे बैठ गई जैसे किसी रहनुमा के इंतजार में इनकी आंखे पथरा गई हो। गावां प्रखंड मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर बसा अमतरो पंचायत का धनेता गांव की तस्वीर कई समस्याएं बयां करती है। यहां के ग्रामीणों की जो समस्याएं हैं उसे सुनने या दूर करने के लिए आजतक किसी सांसद विधायक ने गांव पहुंचने की जहमत नहीं उठाई है। आजादी के 72 साल बाद वे अलग झारखंड राज्य बनने के 15 साल बाद भी यह गांव विकास को तरस रहा है। गांव तक पहुंचने के लिए तो कच्ची सड़क है जो बरसात में दलदल में तब्दील हो जाता है।

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बरसात में अगर कोई अकस्मात बीमार पड़ जाए तो शायद ही उनकी जान बचती है क्योंकि गांव तक जाने में रास्ते में पड़ने वाला बाघापत्थल नदी लबालब भरी होती है। लोग बीमार लोगों को किसी तरह कांधे पर उठाकर या खाट की पालकी बनाकर उसे प्रखंड मुख्यालय स्थित अस्पताल पहुंचाते हैं। पिछले वर्ष मलेरिया की चपेट में आने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। तब स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव में कैंप कर दवा आदि का वितरण किया गया था।

विधायक या सांसद की कोई विकास योजना इस गांव में तो नहीं पहुंच पाई है। मुखिया द्वारा भी आजतक इस गांव में न तो एक लाइट लगाई गई और न ही गांवों की सड़कें ही पक्की की गई है। गांव घुसने के लिए पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है। सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का सरकार का दावा भी इस गांव में फेल होता नजर आता है। दो साल पूर्व यहां बिजली पोल व तार लगाए गए हैं परंतु गांव में बिजली का कनेक्शन नहीं दिया गया है। तीन माह पूर्व तार को बदलकर केबल तार खींचा गया है परंतु बिजली चालू नहीं कि गई है। आज भी लोग अंधेरे में रहने को विवश हैं। गांव में पेयजल की समस्या भी गंभीर है। कहने को तो गांव में 5 चापाकल हैं परंतु गर्मी के दिनों में केवल एक चापाकल ही चालू रहता है बाकी सभी सूख जाते हैं। ग्रामीण किसी तरह से एक चापाकल से अपनी प्यास बुझाते हैं। गेंदिया देवी बताती हैं कि चुनाव से पूर्व या चुनाव के बाद आजतक कभी किसी विधायक या सांसद इस गांव में नहीं आए हैं। गांव में पक्की सड़क नहीं रहने के कारण बरसात में गांव से निकलना मुश्किल हो जाता है। सुमा देवी ने बताया कि गांव में हर साल कोई न कोई बीमारी से मौत होते रहता है। पिछले साल मलेरिया की चपेट में आने से दो बच्चों की मौत हो गई। इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। बरसात के दिनों में तो अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो जाता है। सुदामा देवी, मीणा देवी, गिरजा यादव ने बताया कि कहने को तो गांव में मनरेगा से 30-35 समतलीकरण, दर्जनों डोभा, व चार पांच तालाब का निर्माण कराया गया परंतु उसमें गांव के एक भी मजदूरों को रोजगार नहीं मिला। लोगों को रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग जंगल से लकड़ी पत्ता लाकर उसे बेचकर जिदगी काटने को विवश हैं। विनोद यादव ने बताया कि गांव के 17 परिवारों के लोगों को प्रधानमंत्री आवास मिला है परंतु और भी कई लोग बाकी हैं। मुखिया से कई बार गांव में पेयजल की किल्लत व सड़क निर्माण की बात कही पर कोई सुनवाई नहीं हुआ। अब जब विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जानकारी मिली है कि गावां प्रखंड मुख्यालय से धनेता तक सड़क निर्माण कार्य पास हो गया है। नदी में पुल निर्माण का भी शिलान्यास स्थानीय विधायक ने कुछ दिन पूर्व किया है। सड़क व पुल बनने से कुछ हद तक समस्याएं दूर होंगी। सरिता देवी कहती हैं कि गांव में एक सोलर वाला पानी टंकी लग जाता तो गांव के लोगों को नहाने धोने व पेयजल की दिक्कत नहीं होती। विकास की लंबी बातें करने वाले जनप्रतिनिधियों में किसी सांसद विधायक का इस गांव में नहीं पहुंचना कई सवाल खड़े करता है।


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