सबने पिलाया आश्वासन का प्याला
संस जमुआ करीब तीन दशक से जमुआ को अनुमंडल और नवडीहा व हिरोडीह को प्रखंड बनाने की मांग क्षेत्र की जनता करती आ रही है।हर चुनाव के समय सभी दलों के नेता जमुआ को अनुमंडल का दर्जा दिलाने की बात कहकर छलते आ रहे हैं।बात चाहे एकीकृत बिहार के समय की करें या फिर अलग झारखंड राज्य गठन होने के बाद की जमुआ और देवरी की जनता को सिर्फ आश्वासन का घूंट ही पिलाया गया है।इस बार के विधानसभा चुनाव का भी मुख्य मुद्दा जमुआ अनुमंडल और नव
प्रवीण कुमार, जमुआ (गिरिडीह) : तीन दशक से जमुआ को अनुमंडल और नवडीहा व हीरोडीह को प्रखंड बनाने की मांग क्षेत्र की जनता करती आ रही है। हर चुनाव के समय सभी दलों के नेता जमुआ को अनुमंडल का दर्जा दिलाने की बात कहकर छलते आ रहे हैं लेकिन वादा किसी ने पूरा नहीं किया। बात चाहे एकीकृत बिहार के समय की करें या फिर अलग झारखंड राज्य का गठन होने के बाद की, जमुआ और देवरी की जनता को सिर्फ आश्वासनों का घूंट ही पिलाया गया है। इस बार के विधानसभा चुनाव का भी मुख्य मुद्दा जमुआ अनुमंडल और नवडीहा व हीरोडीह को प्रखंड बनाने का ही है। अपनी मांगों को लेकर विधानसभा के जमुआ और देवरी प्रखंड की जनता लगभग तीस सालों से आंदोलनरत है। इस आंदोलन में शामिल कई लोग जेल भेजे गए तो कई अभी भी कोर्ट कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं।
लालू से लेकर अर्जुन मुंडा तक ने दिया आश्वासन : जमुआ को अनुमंडल बनाने का आश्वासन एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बाद बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा भी चुनावी सभाओं में दे चुके हैं। वर्तमान विधायक केदार हाजरा सहित पूर्व विधायक चंद्रिका महथा, शुकर रविदास आदि ने भी अनुमंडल के नाम पर आमजनों को सिर्फ ठगने का काम किया है। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2014 में एक चुनावी सभा के दौरान नवडीहा हाईस्कूल मैदान में नवडीहा को प्रखंड बनाने की बात कही थी, लेकिन उनका आश्वासन भी कोरा साबित हुआ। 5 साल पहले खोरीमहुआ को अनुमंडल बनाया गया। उसके बाद जमुआ विधायक केदार हाजरा ने लोगों को आश्वस्त करते हुए विधानसभा में प्रश्न उठाया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
6 नवंबर को जमुआ के कंदाजोर में हुए भाकपा माले के कार्यकर्ता कन्वेंशन में जमुआ को अनुमंडल बनाने की बात ेकही गई। नवडीहा और हीरोडीह को प्रखंड बनाने की बात भी कही गई।
31 लोगों पर हुआ मुकदमा: जमुआ को अनुमंडल बनाने के लिए कई दफा यहां छोटे से बड़े आंदोलन किए गए। दो बार आंदोलनकारियों पर मुकदमा भी किया गया। वर्ष 2001 में शिक्षक मो. नईमुद्दीन की अगुवाई में हुए आंदोलन में कुल 15 लोगों के विरुद्ध और वर्ष 2013 में तत्कालीन प्रमुख सोनी चौरसिया के नेतृत्व में हुए आंदोलन में 16 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। दोनों कांड के नामजद आरोपित आज भी कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं। कई लोग जेल भी गए। अनुमंडल के लिए लड़ाई लड़ने वाले ये लोग नेताओं को कोसते नहीं थकते हैं। उक्त लोगों का कहना है कि क्षेत्रवासियों की दशकों पुरानी यह मांग पूरी हो जाती तो उनको कोई मलाल नहीं रहता।
अनुमंडलीय कार्यालय में कई विभागों के दफ्तर : जमुआ में वर्षों से कई विभागों के अनुमंडलीय स्तरीय कार्यालय हैं। पथ निर्माण विभाग, लघु सिचाई विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, बिजली, वन विभाग, विशेष प्रमंडल, पुलिस निरीक्षक आदि का अनुमंडलीय कार्यालय यहां वर्षों से काम कर रहा है। बहरहाल जो भी हो जमुआ के नागरिकों की दशकों पुरानी मांग अभी भी बरकरार है।