शिबू की 'स्टाइल' में किया झामुमो पर वार
दिलीप सिन्हा, गिरिडीह: झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन के आदिवासी वोटबैंक में से
दिलीप सिन्हा, गिरिडीह: झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन के आदिवासी वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश काफी हद तक झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के पाले में रही। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर बाबूलाल के प्रति आदिवासियों का यह रुझान बरकरार रहा तो 2019 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में शिबू-हेमंत का आदिवासी वोटरों पर एकाधिकार टूट जाएगा।
शनिवार को शहर के झंडा मैदान में झाविमो के अनुसूचित जनजाति मोर्चा सम्मेलन में हजारों आदिवासियों की उपस्थिति से जहां बाबूलाल गदगद थे। झामुमो के गढ़ पीरटांड़ के विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में लोग इस सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। इसके अलावा गांडेय, बेंगाबाद, तिसरी, गावां समेत सभी जगहों के आदिवासियों की उपस्थिति थी। सम्मेलन में बाबूलाल ने शिबू-हेमंत पर किसी तरह का कोई हमला नहीं बोला। सिर्फ भाजपा एवं मुख्यमंत्री रघुवर दास उनके निशाने पर रहे। शिबू की ही स्टाइल में बाबूलाल ने आदिवासियों को देर रात तक संथाली भाषा में संबोधित करते हुए हुए रिझाने की कोशिश की। जल, जंगल, जमीन का मामला उठाते हुए उनकी नब्ज पकड़ने की कोशिश की। सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन, पलायन जैसे मुद्दों को भी उठाया।
प्रदीप यादव ने परोक्ष रूप से झामुमो पर हमला करते हुए आदिवासियों से कहा कि झारखंड की रक्षा अब तीर-धनुष वाले लोग नहीं कर सकेंगे। उन्हें बाबूलाल के नेतृत्व में गोलबंद होना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो आने वाले समय में उन्हें पश्चिम बंगाल व आसाम पलायन करना होगा। बाहरी लोगों के शिक्षक समेत अन्य पदों पर बहाली का मामला भी उठाया।
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने भी आदिवासियों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था। देर रात तक इसका सभी ने लुत्फ उठाया। सम्मेलन को केंद्रीय महासचिव रमेश राही, सचिव सुरेश साव, केंद्रीय सदस्य नुनूलाल मरांडी, बार एसोसिएशन के सचिव चुन्नूकांत, जिलाध्यक्ष महेश राम, राजेश जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया।