कप्तान विहीन हुए जिले के 149 उच्च विद्यालय
गिरिडीह जिले के उच्च एवं प्लस टू विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों का टोटा लगा हुआ है। कप्ता
गिरिडीह : जिले के उच्च एवं प्लस टू विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों का टोटा लगा हुआ है। कप्तान विहीन हुए विद्यालयों का संचालन प्रभारी के भरोसे हो रहा है। इसका असर न केवल पठन-पाठन पर पड़ रहा है, बल्कि अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बताया जाता है कि पूरे जिले में 153 विद्यालय हैं, जिनमें 113 उत्क्रमित उच्च, आठ प्रोजेक्ट और 32 उच्च व प्लस टू विद्यालय हैं। नियमत: सभी स्कूलों में प्रधानाध्यापक होना चाहिए, लेकिन मात्र चार स्कूलों में ही प्रधानाध्यापक हैं। शेष स्कूल प्रभारी के भरोसे चल रहे हैं।
प्रभारी और शिक्षकों में नहीं बैठता तालमेल : प्रभारी और शिक्षकों में तालमेल नहीं बैठ पाता है, क्योंकि प्रभारी और अन्य शिक्षकों की योग्यता और वेतनमान एक है। कइयों ने एक साथ योगदान भी दिया है। सभी मामलों में समकक्ष रहने के कारण प्रभारी को अन्य शिक्षक न तो महत्व देते हैं और न ही उनकी बातों पर अमल करते हैं। प्रभारी भी शिक्षकों को किसी तरह का निर्देश या आदेश देने की स्थिति में नहीं होते हैं। ऐसे में विद्यालयों के संचालन में परेशानी और कामकाज बाधित होता है।
बाधित होती है पढ़ाई : प्रधानाध्यापक के अभाव में बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है। कई विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षक प्रभारी को सहयोग नहीं करते हैं। चूंकि उनमें प्रभारी का भय नहीं होता है, इसलिए वे बच्चों को पढ़ाने और अन्य कार्यो के निर्वहन में भी दिलचस्पी नहीं लेते हैं। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि उच्च विद्यालयों में अविलंब प्रधानाध्यापकों का पदस्थापन होना चाहिए। बिना प्रधानाध्यापक के विद्यालयों में व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाएगी।
इधर, जिला शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुजूर ने बताया कि प्रधानाध्यापकों की कमी है। यह सरकार और विभाग के स्तर की बात है। प्रधानाध्यापक के नहीं रहने से थोड़ी-बहुत परेशानी तो होती है।