वर्षा होते से खेती करने में जुटे किसान, खाद-बीज दुकानों पर उमड़ रही भीड़
वर्षा होते से खेती करने में जुटे किसान खाद-बीज दुकानों पर उमड़ रही भीड़
वर्षा होते से खेती करने में जुटे किसान, खाद-बीज दुकानों पर उमड़ रही भीड़
अंजनी कुमार उपाध्याय, गढ़वा :
जिले में विगत तीन दिनों से मानसून की वर्षा शुरु हो गई है। हालांकि अधिकतर क्षेत्रों में हल्की वर्षा ही हुई है। लेकिन आद्रा नक्षत्र के एक सप्ताह से अधिक बीत जाने के बावजूद वर्षा नहीं होने से निराश हो रहे किसानों को इससे राहत मिली है। किसान खेती कार्य में जुट गए हैं। कई प्रखंडों में धान के बिचड़े के लिए खेतों को तैयार करने से लेकर भदई फसलों की बोआई भी शुरु हो चुकी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों हाट-बाजारों समेत जिला मुख्यालय स्थित खाद बीज दुकानों में खाद व बीज की खरीदारी के लिए किसानों की भीड़ उमड़ रही है। बताते चलें कि 22 जून से शुरु आद्रा नक्षत्र के एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद खेती करने लायक वर्षा नहीं हुई। जून माह में जिले में औसत वर्षा 138.8 मिमी होती है। लेकिन इस वर्ष जून माह में औसत वर्षा 25.4 मिमी वर्षा हुई। अधिकतर क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण धान के बिचड़े करने के लिए खेतों की जुताई कर उसे तैयार नहीं किया जा सका। किसानों के अनुसार जून माह में जिन खेतों में गेहूं, मसूर, सरसो, चना आदि रबी की फसल हुई है, उन खेतों में ही इतनी कम वर्षा में किसी तरह जुताई की जा सकी। लेकिन विगत तीन में छिटफुट वर्षा ने ही किसानों में नई उर्जा का संचार कर दिया है।लोग खेती करने में जुट गए हैं।
-जिले में सबसे अधिक धान के फसल का होता है आच्छादन -
जिले में प्री मानसून व मानसून के साथ वर्षा होने पर जून माह तक करीब 75 से 80 प्रतिशत भदई फसलों की बोआई का कार्य हो जाता है। लेकिन इस वर्ष प्री मानसून व मानसून के शुरुआत में वर्षा नहीं होने से भदई फसलों की खेती पिछड़ गई है। जबकि जून माह में धान के बिचड़े भी नहीं किए जा सके हैं। आठ जुलाई से पुनवर्सु नक्षत्र शुरु हो रहा है। जिले में अक्सर पुनवर्सु नक्षत्र में धानरोपनी शुरु हो जाती है। लेकिन इस वर्ष देर से धान के बिचड़े करने में देरी के कारण धान रोपनी में भी विलंब होगा। बताते चलें कि जिले में सबसे खेतों में अधिक धान की खेती होती है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो 55 हजार हेक्टेयर में धान के फसल का आच्छादन होता है। जबकि मक्का 27200 हेक्टेयर, अरहर 29000 हेक्टेयर, उरद 10000 हेक्टेयर, तिल 1540 हेक्टेयर, मूंगफली 2800 हेक्टेयर में किया जाता है।