गांव से बना शहर, समस्या जस की तस
विकास का सपना संजोए मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र में शामिल हुए ।
अरविद तिवारी : चैनपुर,पलामू : विकास का सपना संजोए मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र में शामिल हुए चैनपुर प्रखंड के पांच गांवों का आशानुरूप विकास नहीं हो सका। विकास तो दूर की बात मूलभूत सुविधाएं भी नदारद हैं। कोयल नदी किनारे बसे शाहपुर कल्याणपुर सेमरटांड़ गुरहा चैनपुर आदि क्षेत्र गांव से शहर तो बन गए बावजूद उक्त क्षेत्र में शहर के समान न तो लाइट लगी और न ही सड़कों का कायाकल्प हुआ। शाहपुर का विवेकानंद चौक, नई मुहल्ला, सेमरटांड़ व चैनपुर के पूरनचंद चौक कर्पूरी चौक, बजरंग चौक आदि विकास में उपेक्षा की कहानी कहते नजर आते हैं। गढ़वा व छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले इने क्षेत्रों की सड़कें भी प्रतिनिधि-अधिकारियों से व्यथा कथा कहते देखी जा सकती हैं। ज्ञात हो कि अप्रैल 2018 में मेदनीनगर नगर निगम क्षेत्र का गठन चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के पांच गांवों को जोड़ कर किया गया था। इसमें शाहपुर व कल्याणपुर आदि को वार्ड नंबर 31, 32व 33 व चैनपुर को वार्ड नंबर 34व35 का स्वरूप दिया गया था। क्षेत्र के विकास को ले इसे सातवां जोन बनाया गया है। नगर निगम में शामिल होने के बाद लोगों में विकास की आस जगी थी। उन्हें लगा था कि अब क्षेत्र का समुचित विकास होगा । बावजूद ढाई वर्ष होने को आए पर उनकी आस पूरी नहीं हो सकी। क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो सका। क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि:--
विकास में उपेक्षा की बात कहते हुए वार्ड 31 की पार्षद सह जोन 7 की अध्यक्ष प्रमिला देवी का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में शामिल उनके क्षेत्र के पांच वार्डों की उपेक्षा की जा रही है। सरकार के गाइड लाइन के अनुसार नए क्षेत्र का विकास प्राथमिकता के आधार पर किया जाना था। बावजूद इसकी उपेक्षा की जा रही है। मेदिनीनगर के समान कहीं भी लाइट नही लगी। नाली-गली व सड़कों के नाम पर खानापूर्ति की गई है। सड़कें जर्जर हैं। जोन बनने के 2 साल बाद जोन कार्यालय उपलब्ध कराया गया है। यह भी संसाधन विहीन है। बैठकों में विकास योजनाओं के पारित होने के बावजूद भी कार्यवाही नहीं होती। पेयजल की समस्या पहले से भी बदतर हो गई है। विकास के नाम पर क्षेत्रवासियों को छला गया है। संसाधन उपलब्ध नहीं होने के बावजूद नगर निगम टैक्स लेने में सतर्कता दिखा रहा है। लोगों से फाइन के साथ टैक्स वसूला जा रहा है। पांच वार्डों के करीब 25 हजार लोगों को समुचित संसाधन से वंचित रखा गया है।