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विश्व रेडियो दिवस: मन की बात से फिर गुलजार हुई रेडियो की दुनिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात ने रेडियो की दुनिया को फिर गुलजार कर दिया है। इसके साथ बचपन गुजारने वाले लोगों का बुढ़ापे में एक बार फिर सहारा रेडियो ही बना है। लोगों ने एक बार फिर रेडियो के साथ समय बिताना शुरू कर दिए हैं। खासकर सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के हाथ में रेडियो फिर से लौट आया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 07:25 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 07:25 PM (IST)
विश्व रेडियो दिवस: मन की बात से फिर गुलजार हुई रेडियो की दुनिया
विश्व रेडियो दिवस: मन की बात से फिर गुलजार हुई रेडियो की दुनिया

राजीव, दुमका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात ने रेडियो की दुनिया को फिर गुलजार कर दिया है। इसके साथ बचपन गुजारने वाले लोगों का बुढ़ापे में एक बार फिर सहारा रेडियो ही बना है। लोगों ने एक बार फिर रेडियो के साथ समय बिताना शुरू कर दिए हैं। खासकर सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के हाथ में रेडियो फिर से लौट आया है।

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हाल यह है कि जिस तरह से कभी रेडियो पर बिनाका गीत माला और विविध भारती के कार्यक्रमों का क्रेज था, ठीक उसी तरह अभी रेडियो पर पीएम मोदी के मन की बात सुनने का क्रेज बढ़ता जा रहा है। मोबाइल फोन ने जब से अपने साथ रेडियो का विकल्प दिया है, तब से क्रिकेट की लाइव कमेंटी सुनना भी आसान हो गया है।

गांव के चौपालों पर लोग इकठ्ठा होकर रेडियो के माध्यम से मोदी के मन की बात को खूब ध्यान से सुनते हैं। यह नजारा अब आम होता जा रहा है। इसके अलावा रेडियो मिर्ची व एफएम चैनलों को सुनने का क्रेज भी जबरदस्त तरीके से बढ़ा है। दुमका में एफएम पर प्रसारित होने वाले विविध भारती कार्यक्रम के श्रोताओं में लगातार बढ़ोतरी दर्ज हुई है। दुमका के रामगढ़ के चंद्र राय कहते हैं कि गांव में एक बार फिर से रेडियो घर-घर में बजने लगा है। ग्रामीण रेडियो को कान से लगाकर समाचार, मन की बात मोदी और अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों को सुन रहे हैं।

बुद्धू मुर्मू ने कहा कि दूरदराज के इलाकों में अब भी टेलीविजन नहीं है। ऐसे में रेडियो ही ग्रामीणों के लिए मनोरंजन का एकमात्र साधन है। मीना देवी कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों को सुनना अच्छा लगता है। गांव के चौपाल पर जुटकर ग्रामीण इस कार्यक्रम को सुनते हैं तो पूरा समाज एक प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा नजर आता है। एक बार फिर से इसकी वजह से गांव में लोग एक साथ बैठने लगे हैं। सामुदायिक, सामाजिक व सामूहिक माहौल का निर्माण हो रहा है। सेवानिवृत्त शिक्षक अनिल तिवारी कहते हैं कि अब भी रेडियो संचार का सबसे मजबूत व सशक्त माध्यम है। समय के साथ निसंदेह रेडियो के श्रोताओं में कमी आई थी, लेकिन अब दोबारा रेडियो सुनने का क्रेज तेजी से बढ़ा है। इसके पीछे एक कारण यह भी कि पहले रेडियो प्रसारण की तकनीक कमजोर थी, लेकिन अब एफएम बैंड आने के बाद इसकी क्वालिटी में काफी बदलाव हुआ है। इसकी वजह से रेडियो के श्रोताओं में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि एफएम के प्रसारण का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।

दुमका में मोदी म्यूजिक के प्रोपराइटर सुनील मोदी कहते हैं कि वर्ष 2021 से रेडियो की डिमांड काफी बढ़ गई है। प्रतिमाह कम से कम 500 रेडियो की बिक्री हो रही है। रेडियो के अधिकांश खरीदार ग्रामीण व बुजुर्ग हैं। एक सवाल पर कहते हैं कि ब्रांडेड रेडियो की डिमांड तो ग्राहक करते हैं, लेकिन इसकी उपलब्धता नगण्य है।


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