Move to Jagran APP

हक के लिए सड़क पर उतरीं महिलाएं

दुमका मानदेय में बढ़ोतरी के अलावा अपने हक के लिए स्कूलों में खाना बनानेवाली महिला व पुरुष रसोइयों ने शुक्रवार को शहर में आक्रोश रैली निकाली। पूरे शहर का भ्रमण करने के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। अधिकारी की गैर मौजूदगी में प्रतिनिधिमंडल ने दंडाधिकारी कनीय अभियंता लाल चंद्र को राज्यपाल के नाम का मांग पत्र सौंपा। जिला संयोजक बाबूलाल राय ने रैली का नेतृत्व किया। इस दौरान सभी सभी अपने हक के लिए नारे लगा रही थीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 07:55 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:55 AM (IST)
हक के लिए सड़क पर उतरीं महिलाएं
हक के लिए सड़क पर उतरीं महिलाएं

दुमका : मानदेय में बढ़ोतरी के अलावा अपने हक के लिए स्कूलों में खाना बनानेवाली महिला व पुरुष रसोइयों ने शुक्रवार को शहर में आक्रोश रैली निकाली। पूरे शहर का भ्रमण करने के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। अधिकारी की गैर मौजूदगी में प्रतिनिधिमंडल ने दंडाधिकारी कनीय अभियंता लाल चंद्र को राज्यपाल के नाम का मांग पत्र सौंपा।

loksabha election banner

जिला संयोजक बाबूलाल राय ने रैली का नेतृत्व किया। इस दौरान सभी सभी अपने हक के लिए नारे लगा रही थीं। बाद में रैली खूंटाबांध स्थित जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय जाकर सभा में तब्दील हो गई। जिला संयोजक ने कहा कि केंद्र सरकार की मिड डे मील को संचालित करने के लिए राज्य के मध्य और प्राथमिक विद्यालय में माता समिति के रूप में रसोइया, संयोजिका व अध्यक्ष पिछले 14 वर्षो से काम कर रहे हैं। केवल खाना बनाने वाली महिला रसोइया को साल के दस माह में केवल 1500 रुपये ही दिया जाता है। संयोजिका व अध्यक्ष से बिना मानदेय के ही काम लिया जा रहा है। अधिकतर महिला आदिवासी, दलित व पिछड़े समाज की हैं। लंबे समय से उनकी मांग को नजर अंदाज किया जा रहा है। मनको देवी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने 19 नवंबर 2018 को केंद्रीय श्रमिक संगठन से जुड़ी यूनियनों को आश्वासन दिया था कि रसोइया का मानदेय बढ़ाना सरकार के एजेंडे में शामिल है। बजट में भी उनकी मांग की अनदेखी कर दी गई। पैसा देने की बजाय काम से हटाने की साजिश रची जा रही है। प्रदर्शन में सुरेश महतो, भुंडा बास्की, अवलियस सोरेन, नयनतारा टुडू, सावित्री हेम्ब्रम, पुष्पलता हेम्ब्रम, मोनिका हांसदा, बालेश्वरी सोरेन, रोशलीन टुडू व पीये सोरेन आदि शामिल थे।

प्रमुख मांगें

-सरकार कार्यरत रसोइया को हटाने का निर्णय वापस ले।

-संयोजिका व अध्यक्ष को मानदेय दिया जाए।

-रसोइया को रेगुलर कर्मचारी घोषित किया जाए।

- रसोइया को दस की बजाय 12 माह का मानदेय दिया जाए।

-चावल पंजी की जांच कर सचिव पर कार्रवाई की जाए।

-सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

-निशुल्क छह लाख का बीमा कराया जाए।

-मिड डे मील को अक्षय पत्रा कंपनी को नहीं दिया जाए।

-विलय हुए स्कूलों में चालू किया जाए।

-तामिलनाडु की तर्ज पर रसोइया को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

-हटाए गए रसोइया, संयोजिका व अध्यक्ष को फिर से बहाल किया जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.