मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा
बासुकीनाथ मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा अपनों से हाय कैसा व्यवहार है तुम्हारा गीत के माध्यम से कथा व्यास संजयानंद महाराज ने गोपियों की विरह वेदना के प्रसंग को जीवंत कर दिया। शाली ग्रामेश्वरनाथ के कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के छठे दिन सोमवार को भागवत कथा में गोपियों की विरह वेदना कृष्ण की रासलीला प्रसंग पर चर्चा की।
बासुकीनाथ : 'मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा, अपनों से हाय कैसा व्यवहार है तुम्हारा' गीत के माध्यम से कथा व्यास संजयानंद महाराज ने गोपियों की विरह वेदना के प्रसंग को जीवंत कर दिया। शाली ग्रामेश्वरनाथ के कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के छठे दिन सोमवार को भागवत कथा में गोपियों की विरह वेदना, कृष्ण की रासलीला प्रसंग पर चर्चा की। गोपियों की विरह कथा का बड़ी ही माíमक शब्दों में बताकर उपस्थित भक्तों को भावविभोर कर झूमने पर विवश कर दिया। कहा कि गोपियां व्याकुल होकर अपने कान्हा को ढूंढती हैं। वह पीपल, तुलसी तथा मालती लता से कृष्ण का पता पूछती हैं। गोपियों के मन में आए भाव को समाप्त करने के लिए ही भगवान ने रास रचाया। अर्थात कामवासना समाप्त कर प्रेम का वितरण किया। गोपियों के मन में जो अभिमान आया था उसे दूर करने के लिए भगवान रास के बीच में छुप गए। गोपियां वृंदावन में व्यग्र होकर कान्हा को ढूंढती हैं। विरह वेदना में अपने प्रियतम को पुकारती हैं और भगवान दो-दो गोपियों के बीच प्रकट होकर रास रचाते हैं। राधा कृष्ण की रासलीला का ऐसा जीवंत व्याख्यान श्रोताओं के समक्ष वर्णित किया कि मानों जरमुंडी की यह नगरी वृंदावन में तब्दील हो गई हो। कथा व्यास ने कहा कि कृष्ण की वेणुनाद सुनते ही गोपियां व्यग्र हो उठी और रास में उपविष्ठ हुई। योग माया के साथ भगवान ने गोपियों के संग रास किया और भागवत में रास पंचाध्याय की महत्ता को प्रतिपादित किया। इसीलिए कृष्ण लीला में रास की पराकाष्ठा एवं माधुर्य की चरम सीमा मानी जाती है। कथा व्यास ने रासलीला की व्याख्या कर जनसमूह को भक्ति सागर में गोते लगाने को विवश कर दिया। आयोजक समिति के सदस्य सनातन सेन ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ का मंगलवार को कथा विश्राम होगा।
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कृष्ण रुक्मिणी विवाह पर झूमे श्रद्धालु : कथा के दौरान श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह हुआ। कथा व्यास ने रास पंच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जानेवाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव से पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। कृष्ण-रुक्मिणि विवाह प्रसंग पर कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। कृष्ण-रुक्मिणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई।