मतदाता ढूंढ रहे रोजगार और पार्टियां कर रही वोट का जुगाड़
दुमका मयूराक्षी की लहरें बिल्कुल शांत हैं। ठीक उसी तरह से जैसे की कुमड़ाबाद के मतदात
दुमका : मयूराक्षी की लहरें बिल्कुल शांत हैं। ठीक उसी तरह से जैसे की कुमड़ाबाद के मतदाता। दुमका उपचुनाव को लेकर गांव में न तो कोई शोर और न ही कोई कुछ बोलने को तैयार। मतलब सब तैयारी तरे-तरे चल रही है। हां, गांव के घरों में कमल और तीर-कमान के झंडे उपचुनाव का एहसास जरूर कराते हैं। कुमड़ाबाद आने से पहले मुड़ाबहाल चौक है। इसी से सटे मैदान में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा 21 अक्टूबर को सभा करके जरूर लौट चुके हैं।
कुमड़ाबाद के अंतिम सीमाना मयूराक्षी नदी तक सपाट पक्की सड़क
केसियाबहाल पंचायत के इस गांव के विकसित होने का गवाह है। गांव में उच्च एवं मध्य विद्यालय की वजह से शिक्षा की स्थिति भी बेहतर है। हां, घर-घर तक पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं होने से मतदाताओं में नाराजगी जरूर है। ग्रामीण वोट मांगने आए नेताओं से इस पर सवाल भी जरूर कर रहे हैं। मयूराक्षी के इस पार दुमका सदर प्रखंड और उस पार मसलिया प्रखंड का दायरा पड़ता है। इसी दायरे को पाटने के लिए मयूराक्षी पर 200 करोड़ रुपये की लागत से 52 स्पेन वाला 2.34 किलोमीटर लंबा पुल निर्माणाधीन है। झारखंड के सबसे बड़े पुल की बुनियाद वर्ष 2018 में रघुवर
सरकार के दौर में पड़ी है। कायदे से इस पुल का निर्माण वर्ष 2021 मार्च
में पूरा हो जाना था, लेकिन कोविड-19 की वजह से इसकी तैयार होने की मियाद दिसंबर तक पहुंच गई है। कुमड़ाबाद के संन्यासी धीवर मत्स्यपालन कर जीवन बसर करते हैं। कहते हैं कि पुल बनकर तैयार हो जाने से नदी के उस पार के ग्रामीणों को काफी सुविधा होनेवाली है। नदी के उस पार मकरपुर, धरमपुर, चापुड़िया, कटहलिया, कुकुरतोपा, कोल्होड़, कोला बगान, सुपाइडीह, सागबारी, सीतासाल, धरमपुर, राजपाड़ा, कमारसोली, कोलाकोंदा, ललमटिया एवं आमरोहा गांव है जहां के ग्रामीण अभी तकरीबन 26 किलोमीटर की दूरी तय कर दुमका आते हैं। पुल के बनते ही यह दूरी काफी घट जाएगी। चार टोला में बंटा कुमड़ाबाद की आबादी 1000 से अधिक है। चार टोले विजयपुर, कुमड़ाबाद, बाउरीटोला एवं बाजार अहमदगंज है। बाजार रहमतगंज को ही लोग अब कुमड़ाबाद के नाम से पुकारने लगे हैं। मुस्ताक अली की रेडीमेड कपड़े की दुकान है। कहते हैं कारोबार काफी मंदा है। परेशानी में हैं। मुस्ताक बताते हैं कि यहां की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। पढ़-लिख कर भी गांव के युवा बेरोजगार हैं। मछली मारकर पेट भरने को विवश हैं। मुस्ताक बताते हैं कि कभी इस इलाके को बाजार रहमतगंज के नाम से पुकारा जाता था। वह दौर इस्टेट का था। इस इस्टेट के राजा स्व. रघुनंदन प्रसाद सिंह थे। बाजार रहमतगंज में 144 मौजा शामिल था। पुरानी यादें ताजा करते हुए मुस्ताक ने कहा कि उनके दादा स्व. इनायत
रसूल मियां और पिता स्व. नूर मोहम्मद राजा के तहसीलदार हुआ करते थे।
गांव के नारायण धीवर को
सरकारों से नाराजगी है। कहते हैं कि वोट से सिर्फ नेताओं की वफाई होगी
हम जैसों को क्या मिलनेवाला है। राजेश धीवर मैट्रिक पास हैं। मुखिया का नाम उसे याद नहीं, लेकिन यह जरूर कहता है कि मुखिया पति सुनीराम हांसदा हैं। उपचुनाव की खबर से उत्साहित जरूर हैं, लेकिन इस युवा की पीड़ा यह कि
वर्ष 1999 में आई बाढ़ की त्रासदी मयूराक्षी नदी के कैचमेंट एरिया में बसे
कुमड़ाबाद के ग्रामीणों ने झेला है। मयूराक्षी विस्थापितों की पीड़ा है सो, अलग।
राजेश कहता है कि यह तो बीते दिनों की बात है। अभी जो सबसे बड़ा सवाल रोजगार का है। चुनाव है तो पार्टियों के नेता आएंगे और वायदे व प्रलोभन के आसरे एक बार फिर हम सबका वोट बटोर कर चले जाएंगे। कुमड़ाबाद से निकलने के क्रम में मुड़ाबहाल चौक पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री व भाजपा के प्रखर नेता स्व.अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा के ठीक पास एलईडी वाहन पर झामुमो के प्रत्याशी का चुनाव प्रचार निसंदेह जंग के दिलचस्प होने का एहसास कराता है जो तीन नवंबर को तय है।