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जिस फुटबॉल ने बढ़ाया मान, उसने ही ली जान

दुमका पुसारो पुल पर मंगलवार की सुबह सड़क हादसे में जान गंवानेवाले फुटबॉल खिलाड़ी अजय हांसदा व रोहित मुर्मू को शुरू से ही फुटबॉल के प्रति लगाव था। सात साल की उम्र से दोनों अपने गांव में खेलते थे। दोनों ने एक साथ देवघर के दो स्कूल में नामांकन लिया। खेल से उन्होंने नाम कमाया। आज गांव ही नहीं देवघर के लीलानंद पागल बाबा विद्यापीठ का हर छात्र दोनों को एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में देखता था। फुटबॉल ने दोनों को मान दिया और इसी फुटबॉल दोनों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 06:29 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:20 AM (IST)
जिस फुटबॉल ने बढ़ाया मान, उसने ही ली जान
जिस फुटबॉल ने बढ़ाया मान, उसने ही ली जान

दुमका : पुसारो पुल पर मंगलवार की सुबह सड़क हादसे में जान गंवानेवाले फुटबॉल खिलाड़ी अजय हांसदा व रोहित मुर्मू को शुरू से ही फुटबॉल के प्रति लगाव था। सात साल की उम्र से दोनों अपने गांव में खेलते थे। दोनों ने एक साथ देवघर के दो स्कूल में नामांकन लिया। खेल से उन्होंने नाम कमाया। आज गांव ही नहीं देवघर के लीलानंद पागल बाबा विद्यापीठ का हर छात्र दोनों को एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में देखता था। फुटबॉल ने दोनों को मान दिया और इसी फुटबॉल दोनों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया।

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जामा की रायल टीम के खिलाड़ी रूबी लाल की मानें तो दोनों एक बेहतर खिलाड़ी थे। हमेशा साथ रहते थे और अनुरोध करने पर टीम में खेलने के लिए देवघर से चले आते थे। सोमवार को जामा के कुशपहाड़ी गांव में एक दिवसीय फुटबॉल प्रतियोगिता हुई थी। अजय अपने साथी रोहित के साथ देवघर से आया। रोहित अपने घर जाने की बजाय अजय के घर चला गया। सोमवार की दोपहर में दोनों ने प्रतियोगिता में भाग लिया। हारने के बाद सभी ने गांव में मेला का मजा लिया। दोनों फुटबॉल के दीवाने थे। दुमका में रहने पर अगर पता चला कि किसी गांव में प्रतियोगिता हो रही है तो सब कुछ छोड़कर देखने जरूर जाते थे। हर समय केवल फुटबॉल की बात करते थे। उनका सपना था कि एक दिन राष्ट्रीय के बाद अंतर राष्ट्रीय टीम में खेले। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। जिस खेल के प्रति इतनी दीवानगी थी, उसी खेल ने उनकी जान भी ले ली। बताया कि मंगलवार की सुबह सभी खिलाड़ी बाइक से घर लौट रहे थे। अजय और रोहित एक बाइक पर थे और दोनों को देवघर के कुमैठा में चलनेवाले प्रशिक्षण केंद्र में शामिल होकर फुटबॉल के गुर सीखने थे। जैसे ही बाइक पुल पर पहुंची, उसी समय महारो से दुमका की ओर आ रहे ट्रक ने सीधी ठोकर मार दी। हादसा इतना जबरदस्त था कि दोनों वाहन पुल की मजबूत रेलिग तोड़कर करीब 30 फुट गहरी सूखी नदी में जा गिरे। हादसे के बाद जख्मी होने के बाद ट्रक का चालक व खलासी किसी तरह से वहां से भाग निकले। स्थानीय लोगों की मदद से दोनों को मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर के अजय के अलावा उसका छोटा भाई और चार बहन हैं, जबकि रोहित तीन भाई और दो बहनों में दूसरे नंबर पर था। दोनों के पिता खेती करते हैं। जैसे ही दोनों के मौत की जानकारी परिजन को मिली, सभी अस्पताल आ गए। बहन और मां का रो रोकर बुरा हाल था। रोते-रोते बस इतना ही बोल रही थी कि भईया क्यों छोड़कर चले गए। गांव ही नहीं दोनों के जिन दोस्तों ने मौत की खबर सुनी, दौड़ा-दौड़ा अस्पताल पहुंच गए।

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सुबह से पहुंचने लगे थे शुभ चितक

अजय और रोहित ने अपने खेल से गांव के बहुत से लोगों को अपना मुरीद बना लिया था। जैसे ही आसपास गांव के लोगों को दोनों के मरने की खबर मिली, अस्पताल चला आया। हर कोई उनकी एक झलक देखना चाहता था। पूरा अस्पताल परिसर शुभ चितकों से भरा था। हर किसी के चेहरे पर गम साफ झलक रहा था। परिवार से मिलने के बाद वे अपने आंसूओं को रोक नहीं पा रहे थे।

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प्राथमिकी में सुधार के बाद उठा शव

फर्दबयान दर्ज करने के दौरान पुलिस की जरा सी लापरवाही उसके लिए ही परेशानी का कारण बन गई। नगर थाना के नए दरोगा ने फर्द बयान में ट्रक का नंबर दूसरा लिख दिया और घटनास्थल पर पड़े ट्रक को उठाकर पास के एक गैरेज में लगा दिया। जब इस बात की जानकारी दोनों के साथियों को मिली तो उनका गुस्सा भड़क गया। कोई भी पोस्टमार्टम के बाद शव लेने के लिए तैयार नहीं हुआ। करीब एक घंटे तक पुलिस यही समझती रही है कि अभी आप लोग शव प्राप्त कर लें, बाद में फर्दबयान में सुधार कर लिया जाएगा। लोगों का कहना था कि जब पुलिस इतने बड़े ट्रक को उठाकर गैरेज में लगा सकती है तो उसने ट्रक का नंबर क्यों गलत लिखा। पुलिस ट्रक मालिक को बचाने का प्रयास कर रही है। सालों तक दुर्घटनाग्रस्त वाहन घटनास्थल पर पड़े रहता है और यहां पुलिस ने दो घंटे के अंदर ट्रक हटा दिया। बाइक को थाने भेज दिया और ट्रक को गैरेज में क्यों लगा दिया। पुलिस ने दलील दी कि नए दरोगा से भूल हो गई है। इसमें सुधार होगा। काफी कहासुनी के बाद पुलिस ने फर्द बयान में ट्रक का सही नंबर अंकित किया और गैरेज के समीप खड़े ट्रक को क्रेन से नगर थाना भेजा। इसके बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ और परिजनों ने दोनों का शव लिया।

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मुआवजे के लिए किया सड़क जाम

पोस्टमार्टम के बाद दोनों मृतक के आश्रितों को अंचल कार्यालय की ओर से दस-दस हजार का चेक दिया गया। इस बात की जानकारी पुसारो के समीप रहनेवालों को नहीं मिल सकी। जिस कारण उन लोगों ने मुआवजा के लिए करीब आधे घंटे तक दुमका-देवघर मार्ग को जाम कर दिया। उनका कहना था कि जब तक परिजनों को मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक जाम नहीं हटेगा। जाम की सूचना मिलने पर नगर थाना की पुलिस पुसारो गई और लोगों को बताया कि अंचल कार्यालय की ओर से चेक दे दिया गया है। लेकिन गांव के लोग यह बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि जब तक पोस्टमार्टम हाउस के पास खड़े गांव के लोग यह आकर नहीं बताएंगे कि चेक मिला या नहीं, उसके बाद ही जाम समाप्त होगा। पुलिस के कहने पर गांव के लोगों ने आकर बताया कि चेक मिल चुका है, इसके बाद जाम समाप्त हुआ।

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ऐसा होनहार खिलाड़ी मिलना मुश्किल

देवघर के लीलानंद पागल बाबा विद्यापीठ के प्राचार्य संदीप मिश्र व कोच कुणाल चौधरी स्कूल की पूरी फुटबॉल टीम के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। संदीप तो शव देखने के बाद रो पड़े। उन्होंने बताया कि अजय और रोहित हीरा था। इन लोगों की वजह से देवघर जिला छह बार विजेता बना। दोनों ने अपनी प्रतिभा के बल पर दो बार राज्यस्तर पर स्कूल प्रतियोगिता में भाग लिया और विजय दिलाया। अगर चोट लगने की वजह से अजय व रोहित सुब्रतो मुखर्जी कप से टीम समेत बाहर नहीं होते तो निश्चय ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करता। बताया कि उनका विद्यालय गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देता है। अजय व रोहित के कोच कुणाल चौधरी का कहना था कि हादसे ने दो उभरते हुए प्रतिभावान खिलाड़ियों को हमेशा के लिए छीन लिया।


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