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मुखर होकर असमानता के उन्मूलन की कोशिश करनी चाहिए

दुमका हूल दिवस पर मंगलवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में रिविजिटिग संताल हूल रेलिवेंस एंड कंटेम्पररी चैलेंजेज विषय पर कुलपति डॉ. सोनाझरिया मिज के अध्यक्षता में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। स्वागत संबोधन प्रो. मेरी मार्गरेट टुडू और विषय प्रवेश समन्वयक डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने किया। इस अवसर पर कुलपति ने विषय की प्रासंगिकता की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को अपने विशिष्ट मानदंडों का विकास करना चाहिए। जिससे इसकी अपनी पहचान दुनिया में स्थापित हो सके।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:17 AM (IST)
मुखर होकर असमानता के उन्मूलन की कोशिश करनी चाहिए
मुखर होकर असमानता के उन्मूलन की कोशिश करनी चाहिए

हूल दिवस पर विवि में एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन

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जागरण संवाददाता, दुमका: हूल दिवस पर मंगलवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में रिविजिटिग संताल हूल: रेलिवेंस एंड कंटेम्पररी चैलेंजेज विषय पर कुलपति डॉ. सोनाझरिया मिज के अध्यक्षता में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

स्वागत संबोधन प्रो. मेरी मार्गरेट टुडू और विषय प्रवेश समन्वयक डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने किया। इस अवसर पर कुलपति ने विषय की प्रासंगिकता की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को अपने विशिष्ट मानदंडों का विकास करना चाहिए। जिससे इसकी अपनी पहचान दुनिया में स्थापित हो सके। अन्याय और दमन का पहले विरोध करना चाहिए और फिर मुखर होकर असमानता के उन्मूलन की कोशिश करनी चाहिए। लेट लिव एंड लिव की बातों से अभिप्रेरित करते हुए उच्च शिक्षा तक आधिकारिक पहुंच सुनिश्चित करना भी सीखना चाहिए। ताकि राष्ट्र की संरचनाओं में सहभागिता का स्तर उन्नत हो सके। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विवि के प्रतिकुलपति डॉ. हनुमान प्रसाद शर्मा ने जल, जंगल व जमीन की विशेषताओं के मध्य भारत की संरचनाओं और शासन प्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन पर जोर दिया। कहा कि पूर्व के आंदोलनों, जन नायकों और शहीदों के योगदानों का वृहत उल्लेख किया जाना चाहिए। मौके पर समाजसेवी डॉ. धोनी सोरेन ने भी संताल हूल के भौगोलिक क्षेत्र, क्रांतिकारियों , सांस्कृतिक-सामाजिक आधार और आंदोलन से जुड़े जमीनी तथ्यों और आकड़ों का विवेचन रोचक ढंग से किया। तो नीदरलैंड से अकादमिक क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त डॉ मोहन कांत गौतम ने जनजातीय दृष्टिकोण से पहचान निर्माण के पक्ष की बातें करते हुए जनजातीय जीवन में अंतरनिहित उद्योग धंधों के विकास की भी बात दुहराई। वेबिनार में करीब 300 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कोर कमेटी के सदस्यों में डॉ. संजीव कुमार सिन्हा, डॉ. युगल झा, डॉ. विनोद कुमार शर्मा, डॉ. राजेश यादव, अमरेश बोस की भूमिका रही। सभी सहभागी को ई-सर्टिफिकेट दिया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजीव कुमार सिन्हा और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अमिता कुमारी ने किया।


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