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दूसरों की भावना के सम्मान से दूर होगी मानसिक विकृति

संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र द्वारा Þमनोविज्ञान दिवसÞ

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 06:57 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 06:42 AM (IST)
दूसरों की भावना के सम्मान से दूर होगी मानसिक विकृति
दूसरों की भावना के सम्मान से दूर होगी मानसिक विकृति

जागरण संवाददाता, दुमका: मनोविज्ञान दिवस पर वैश्विक लैंगिक समानता में मनोविज्ञान की देन विषय पर सेमिनार को संबोधित करते प्रति कुलपति डॉ. हनुमान प्रसाद शर्मा ने कहा कि दूसरों की भावना को सम्मान दें तो निश्चित तौर पर हम मानसिक विकृतियों से अपने को बचा सकते हैं। शैक्षणिक गुणवत्ता के अभाव तथा अच्छे गुरु व वातावरण नहीं मिलने से भी विद्याíथयों में तनाव होता है। मनोविज्ञान ही सुसाइडल टेंडेंसी से बचाता है। यह बातें संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते प्रभारी प्राचार्य प्रो. प्रशांत ने कहा कही। उन्होंने कहा कि अगर विश्व में कहीं बंधुत्व है तो उसका कारण मनोविज्ञान है।

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अतिथियों का स्वागत करते हुए मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक व मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के निदेशक ने कहा कि आज मनोविज्ञान की महत्ता पूरे विश्व मे व्यापक रूप से देखी जा रही है। मनोविज्ञान मानव विशेष को बचा सकता है। सम्मान के साथ जीने की वकालत करता है। मानवीय व्यवहारों व उनके भावनाओं व विचारों को न समझ पाने का नतीजा है कि आज पूरा समाज तनाव, विषाद से लेकर शिजोफ्रेनिया, व्यामोह जैसे बड़े मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है। आज केवल तनाव से लोग रिश्ते नाते तोड़ रहे हैं। सामाजिक व पारिवारिक असुरक्षा की स्थिति में भी जीवन की सुंदरता को बर्बाद कर रहे है। लिगभेद व पूर्वाग्रहों की राह चलकर महिलाओं पर अत्याचार करते हैं। भ्रूणहत्या से बलात्कार तक कि घटनाएं भी इसका एक कारण है। जो सभ्य समाज मे कलंक है।

सेमिनार में यह विचार आया कि बच्चों में चारित्रिक दोष हो, उसमें नशे की बात हो या नक्सलवाद या आतंकवाद सभी कहीं न कहीं असंतोष व बुरे वातारण से ही जन्म लेता है। अपराध को नियंत्रित कर सामाजिक सांस्कृतिक व न्यायिक मानदंडों को पूरे ईमानदारी व निष्पक्षता के साथ व्यवहारिक रूप देने की सख्त आवश्यकता है तभी सभी समाज मे शांति व सौहार्द का वातावरण में लोग तनाव व चितामुक्त जीवन जी सकेंगे।

इस अवसर पर डॉ. कलानंद ठाकुर ने कहा कि मनोविज्ञान का अस्तित्व आदि काल से है। आज है और कल भी रहेगा। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. किलिश मरांडी ने किया। मौके पर विद्याíथयों ने स्वागत गीत, संताली गीत, कव्वाली आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। विद्याíथयों में तेहरान अब्सरी, जाफीर, दिलीप कुमार, रोहित मरांडी, उषा कुमारी, अनिशा कुमारी, सुषमा कुमारी, सीता कुमारी, सीमा कुमार, धेना सोरेन, लीलू रॉय, निर्मल टुडू आदि व्यवस्था में थे।


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