भगवान के भरोसे एसबीआइ के 155 ग्राहक सेवा केंद्र
दुमका : एटीएम व बैंक लूट के बाद अब गांव के दूरदराज बसे लोगों को सेवा देने के उद्देश्य से चल रहे ग्राहक सेवाकेंद्र को भी अपराधियों ने निशाना बनाना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह के दौरान अपराधियों ने एसबीआइ और सेंट्रल बैंक के ग्राहक सेवा को निशाना बनाकर करीब ढाई लाख रुपया लूट लिया।
दुमका : एटीएम व बैंक लूट के बाद अब गांव के दूरदराज बसे लोगों को सेवा देने के उद्देश्य से चल रहे ग्राहक सेवाकेंद्र को भी अपराधियों ने निशाना बनाना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह के दौरान अपराधियों ने एसबीआइ और सेंट्रल बैंक के ग्राहक सेवा को निशाना बनाकर करीब ढाई लाख रुपया लूट लिया। एसबीआइ की ओर से जिले से 160 ग्राहक सेवा केंद्र चलाए जा रहे हैं। जिनमें केवल पांच में ही सीसीटीवी लगा है और बाकी 155 की सुरक्षा भगवान के भरोसे है। वारदात के बाद बैंक प्रबंधन सुरक्षा के प्रति गंभीर हो गया है।
क्या हैं ग्राहक सेवाकेंद्र
गांव के लोगों को पैसा निकासी के लिए शहर या फिर मुख्यालय की बैंक में आना नहीं पड़े, इसलिए इन केंद्रों को चालू कराया गया है। यहां एसबीआइ ही नहीं हर बैंक के ग्राहक ज्यादा से ज्यादा से पांच हजार तक की निकासी कर सकते हैं। यह एक प्रकार से लोगों को सेवा देना जैसा है। केंद्र से बैंक प्रबंधन को किसी तरह का मुनाफा नहीं होता है। इसका संचालन करनेवालों को इसके बदले में कुछ पैसा मिलता है। ज्यादातर केंद्र लोगों ने अपने घर में ही खोल रहे हैं। इसलिए अभी तक सुरक्षा की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। केंद्र में संचालक ही सर्वेसर्वा होता है। जिले में एसबीआइ के 160 केंद्र चल रहे हैं। जिनमें केवल पांच में ही सीसीटीवी लगा हुआ है। बाकी की सुरक्षा संचालक के स्वयं हाथ में है।
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क्यों निशाने पर ग्राहक सेवाकेंद्र
ग्राहक सेवाकेंद्र में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण अपराधी इसे निशाना बनाना आसान समझते हैं। गांव के अंदर होने के कारण लोगों का ध्यान इन पर नहीं रहता है। किसी प्रकार की जांच नहीं होने के कारण लोग आसानी से अंदर आ जाते हैं। गोपीकांदर में दो युवक भी हथियार के बल पर आसानी से अंदर आए और चंद मिनट में दस हजार रुपया लेकर चलते बने। जब तक ग्राहक शोर मचाने का प्रयास करते, तब तक अपराधी बाइक पर बैठकर गांव से निकल गए।
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50 हजार से ज्यादा पैसा नहीं
एसबीआइ प्रबंधन की माने तो एक ग्राहक केंद्र में 50 हजार से ज्यादा रुपया नहीं रखा जाता है। एक बार पैसा समाप्त होने के बाद फिर संचालक को दिया जाता है। सुरक्षा को देखते हुए ही रकम की सीमा तय की गई है।
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सुरक्षा का दिया गया निर्देश
वारदात के बाद बैंक प्रबंधन गंभीर है। उसे सुरक्षा का डर सताने लगा है। शुक्रवार को कुछ ग्राहक सेवाकेंद्र के संचालक को सुरक्षा की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया और कहा गया कि जल्द से जल्द सीसीटीवी भी लगा लें। केंद्र में आनेवाले ग्राहकों पर नजर रखें। अगर कोई संदिग्ध दिखे तो तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दें।
वर्जन
ग्राहक सेवाकेंद्र लोगों की सुविधा के लिए ही खोले गए हैं। यहां से बैंक को किसी तरह का लाभ नहीं मिलता है। जनता की सेवा के लिए ही हैं, इसलिए विधि व्यवस्था का दायित्व पुलिस का बनता है। हरकेंद्र पर सुरक्षा देना बैंक की ओर से संभव नहीं है। इसके बाद भी सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक कदम उठाएं जाएंगे।
जीतेंद्र कांत ठाकुर, क्षेत्रीय व्यवसायिक प्रबंधक, एसबीआइ, दुमका