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अब तक लैंपस के जरिए धान क्रय की नहीं हो सकी व्यवस्था

मसलिया में लैंपस के माध्यम से किसानों से धान क्रय करने के लिए पूर्वी एवं पश्चिमी क्षेत्र को मिलाकर मात्र दो धान क्रय केंद्र बनाया गया है। हालांकि इन केंद्रों के माध्यम से अब तक धान की खरीदारी शुरू नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 07:51 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 07:51 PM (IST)
अब तक लैंपस के जरिए धान क्रय की नहीं हो सकी व्यवस्था
अब तक लैंपस के जरिए धान क्रय की नहीं हो सकी व्यवस्था

संवाद सूत्र, दलाही: मसलिया में लैंपस के माध्यम से किसानों से धान क्रय करने के लिए पूर्वी एवं पश्चिमी क्षेत्र को मिलाकर मात्र दो धान क्रय केंद्र बनाया गया है। हालांकि इन केंद्रों के माध्यम से अब तक धान की खरीदारी शुरू नहीं हो पाई है।

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पूर्वी क्षेत्र में दलाही और पश्चिमी क्षेत्र में गम्हरिया में धान क्रय केंद्र की व्यवस्था की गई है। इन दोनों लैंपस के भवन की स्थिति काफी जर्जर है। सहायक प्रबंधक प्रवीण भगत का कहना है कि 2011 से लैंप्स से जुड़े हैं। जर्जर भवन की जानकारी कई बार जिला सहकारिता पदाधिकारी को लिखित तौर पर दे चुके हैं। अब तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। कहा कि अभी मिल के साथ टैंगिग नहीं होने के कारण किसानों से धान क्रय की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। संभव है एक-दो दिन में धान क्रय की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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वर्जन:::

सहायक प्रबंधकों को सरकार की ओर से लैंपस संचालन के लिए महीने में किसी भी तरह की राशि नहीं दी जाती है। इससे संबंधित तमाम अर्जियां फाइलों में दबी पड़ी हैं। इसकी वजह से लैंपस संचालन में परेशानी होती है।

प्रवीण भगत, सहायक प्रबंधक, गम्हरिया

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2007 से दलाही लैंपस का संचालन कर रहे हैं। समिति से मानदेय मिलता था, लेकिन चार साल वह भी बंद है। पिछले साल धान का क्रय मूल्य 2000 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इस वर्ष 2050 रुपये किया गया है। भुगतान सीधे किसानों के खाते में होगा।

निमाई सेन, सहायक प्रबंधक,दलाही

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क्या कहते हैं अधिकारी

धान के क्रय के लिए वर्तमान में दो लैंपस का चयन किया गया है। लैंपस को नए सिरे से सुदृढ़ करने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में गंभीरता से सोच रही है, लेकिन इसे धरातल पर उतार कर ही इस व्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है।

एमानुएल किस्कू, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी, मसलिया


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