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प्रो. नामवर आधुनिक साहित्य के ध्रुवतारा

दुमका : सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में बुधवार को प्रख्यात मा‌र्क्सवादी समालोचक डॉ. नामवर ¨सह के निधन के बाद छात्र-छात्राओं की ओर से शोक सभा का आयोजन किया गया। कुलपति प्रोफेसर मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने नामवर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वे आधुनिक हिन्दी साहित्य के ध्रुवतारा के समान थे। ऐसे शिक्षक पर हमें गर्व करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 07:42 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 07:42 AM (IST)
प्रो. नामवर आधुनिक साहित्य के ध्रुवतारा
प्रो. नामवर आधुनिक साहित्य के ध्रुवतारा

दुमका : सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में बुधवार को प्रख्यात मा‌र्क्सवादी समालोचक डॉ. नामवर ¨सह के निधन के बाद छात्र-छात्राओं की ओर से शोक सभा का आयोजन किया गया। कुलपति प्रोफेसर मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने नामवर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वे आधुनिक हिन्दी साहित्य के ध्रुवतारा के समान थे। ऐसे शिक्षक पर हमें गर्व करना चाहिए। समाज और साहित्य का वास्तविक ज्ञान ऐसे ही समर्थ शिक्षक से मिलता है। कहा कि वे एक व्यक्ति नहीं अपितु एक संस्था व विचार थे।

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विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार सिन्हा ने कहा कि मध्यकालीन एवं आधुनिक साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान नामवर का 93 वर्ष की आयु में मंगलवार की रात दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजे जा चुके नामवर ने हिन्दी साहित्य में आलोचना को एक नया आयाम और नई ऊंचाई दी है। अनेक भाषाओं के साहित्य के व्यापक अध्ययन से उनका साहित्य-चिंतन सशक्त हुआ था। समसामयिक साहित्य के अनेक समस्याओं पर विचार करते हुए अनेक लेखों के अतिरिक्त उन्होंने अनेक कालजयी पुस्तक हिन्दी संसार के पाठकों के सामने रखने का महती कार्य उस दौर में किया था जब सर्वाधिक जरूरत थी। छायावाद व कविता के लिए साहित्य अकादमी से पुरस्कृत किया गया। आधुनिक साहित्य की प्रवृतियां, दूसरी परम्परा की खोज कहानी, प्रेमचंद और भारतीय समाज,आलोचना और विचारधारा, हिन्दी समीक्षा और आचार्य शुक्ल आदि अनेक उपयोगी ग्रंथ के लेखक रहे। इनके द्वारा नई कहानी आन्दोलन प्रतिष्ठित और परिभाषित हुआ। नई कविता की व्यावहारिक आलोचना के क्रम में कविता की परिभाषा, रस, अनुभूति की प्रमाणिकता, व्यंग्य, जटिलता और तनाव, प्रतीक, बिम्ब आदि को समकालीन बोध एवं हिन्दी की समकालीन कविता के संदर्भ में समझाया।


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