कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर गुरु नानक ने लोगों में भरा था प्रकाश
दुमका के दुधानी में सोमवार को सिख धर्म के पहले गुरु नानक देवजी की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में काफी धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर सिख पंथ के धर्मावलंबियों ने नानक देवजी के बताए हुए राह पर चलने का संकल्प लिया। बताया कि नानक देवजी ने कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर लोगों के जीवन में नया प्रकाश भरने का काम किया है।
जागरण संवाददाता, दुमका: दुमका के दुधानी में सोमवार को सिख धर्म के पहले गुरु नानक देवजी की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में काफी धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर सिख पंथ के धर्मावलंबियों ने नानक देवजी के बताए हुए राह पर चलने का संकल्प लिया। बताया कि नानक देवजी ने कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर लोगों के जीवन में नया प्रकाश भरने का काम किया है। समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए वे अपने पारिवारिक जीवन और सुख का ध्यान छोड़कर दूर-दूर तक की यात्राएं की और लोगों को कुरीतियों से दूर रहने के लिए प्रेरित किया।
--------------------
प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है नानक जी की जयंती: सिख समुदाय के सरदार सुरेंद्र सिंह ने कहा कि समुदाय के लोग दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी की जयंती को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाने की परंपरा है। कहा कि परंपरा के मुताबिक नानक देव की अरदास व विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान लंगर का भी आयोजन किया गया, जिसमें शहर के सभी समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में प्रसाद ग्रहण किया।
--------------------
नानक के जन्मदिन पर मनाया जाता है प्रकाश पर्व: गुरु पर्व या प्रकाश पर्व गुरु नानक जी के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोई की तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब में है। यहां प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब भी है, जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। शेर-ए पंजाब नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था।
------------------
सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु: गुरु नानक ने सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि आफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए। गुरु नानक सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे। इन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी। इनके अनुयायी इन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानक शाह कहकर पुकारते हैं। वहीं, लद्दाख और तिब्बत में इन्हें नानक लामा कहा जाता है। वर्ष 1539 में करतारपुर, जो अब पाकिस्तान में है, वहां के एक धर्मशाला में इनकी मृत्यु हुई। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने।