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बीज महंगा होने से आलू की खेती में आई कमी

मसलिया प्रखंड के किसान आलू की खेती करने में अव्वल हैं लेकिन आलू के समुचित रखरखाव की व्यवस्था नहीं होने से किसानों में निराशा है। किसानों का कहना है कि आलू की खेती करना अब काफी महंगा हो गया है। इसकी वजह आलू के बीज की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 05:57 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 05:57 PM (IST)
बीज महंगा होने से आलू की खेती में आई कमी
बीज महंगा होने से आलू की खेती में आई कमी

संवाद सूत्र,दलाही : मसलिया प्रखंड के किसान आलू की खेती करने में अव्वल हैं लेकिन आलू के समुचित रखरखाव की व्यवस्था नहीं होने से किसानों में निराशा है। किसानों का कहना है कि आलू की खेती करना अब काफी महंगा हो गया है। इसकी वजह आलू के बीज की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है। यही कारण है कि प्रखंड में एक एकड़ या इससे अधिक भू-भाग में आलू की खेती करने वाले किसान भी अब कम भू-भाग पर खेती कर रहे हैं। किसानों के मुताबिक वर्तमान समय में आलू के बीज की कीमत 35-40 रुपये प्रति किलो है। मसलिया के पश्चिमी भाग के किसान बीज का उठाव फतेहपुर, खागा व पालाजोरी बाजार से करते हैं। कई गांवों के किसानों को इस बात की भी चिता सता रही है है कि आलू का फसल तैयार होने पर जंगली सूअर का आहार न बन जाए। आलू की खेती करना अब काफी महंगा हो गया है क्योंकि आलू के बीज की कीमत के अलावा खाद बीज भी महंगा हो गया है। किसानों के समक्ष फसल उत्पाद को समुचित व सुरक्षित तरीके से रखने की भी व्यवस्था नहीं है। इससे काफी परेशानी हो रही है।

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हिमांशु पंडित, खेड़बोना, मसलिया आलू की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं लेकिन अब महंगाई के कारण डर लगने लगा है। आलू को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन इस ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। किसानों को लाचारी में औने-पौने भाव में आलू बेचना पड़ रहा है।

श्रीपद पंडित, खिलकनाली मसलिया गांव के अधिकांश किसान खेती में बड़ी पूंजी लगाने में सक्षम नहीं हैं। इसके बावजूद किसानों के खेती के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। महंगाई के कारण उत्पादन कम हो रहा है। किसानों को लागत के हिसाब से आमदनी भी नहीं हो रही है। किसानों के लिए आधारभूत संरचनाएं मजबूत होनी चाहिए।

जलधर सिंह,गुमरो मसलिया पिछले साल की तुलना से इस साल आलू का भाव काफी चढ़ा हुआ है। इसकी वजह से किसान आर्थिक तौर पर परेशानी में हैं। अधिक लागत होने के कारण किसान कम पैदावार करने केा विवश हैं। फसलों की रखरखाव की व्यवस्था नहीं होने से भी परेशानी है।

दामोदर सिंह,पारबाद मसलिया इन गांवों में होती है आलू की खेती

मसलिया के बांक, घुरमुंदनी, जेरूवा, मोहलीडीह, घांसीमारनी,गाड़ापाथर, कपसियो, बरमसिया, बसकीडीह, करमाटांड़,सितपहाड़ी, छोटा तेतरियाडंगाल


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