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सरैयाहाट के लोगों को ग्रामीण पेयजलापूíत का लाभ नहीं

सरैयाहाट करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण पेयजलापूíत का लाभ सरैयाहाट के लोगों को नहीं मिल सका है। इस योजना के तहत प्रखंड के 28 गांवों के करीब 20 हजार आबादी को नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से निर्माण कार्य की आधारशिला 25 मई 2016 को पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने रखी थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 07:43 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 07:43 PM (IST)
सरैयाहाट के लोगों को ग्रामीण पेयजलापूíत का लाभ नहीं
सरैयाहाट के लोगों को ग्रामीण पेयजलापूíत का लाभ नहीं

सरैयाहाट : करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण पेयजलापूíत का लाभ सरैयाहाट के लोगों को नहीं मिल सका है। इस योजना के तहत प्रखंड के 28 गांवों के करीब 20 हजार आबादी को नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से निर्माण कार्य की आधारशिला 25 मई 2016 को पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने रखी थी। इसके लिए 16 करोड़ की लागत से ठेकेदार ने निर्माण कार्य भी शुरू किया गया। लेकिन निर्माण कार्य इतना निम्न स्तर का किया गया कि अभी लोगों को पानी नसीब नहीं हुआ है। बढ़ते गर्मी में लोगों को ग्रामीण पेयजलापूíत योजना के नल के पानी का इंतजार है। जानकारी के अनुसार इस योजना को चालू करने के लिए जियाजोर गांव के निकट मोतीहारा नदी पर एक इंटेकवेल बनाया गया है। मटिहानी, माथाकेशो एवं प्रखंड कार्यालय परिसर में जलमीनार का निर्माण कराया गया है। जो सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुई है। जबकि निर्माण कार्य 18 माह में पूरा करने का करार था। प्रखंड की मुख्य समस्या बनी हुई है। सरैयाहाट के ग्रामीण नंदकिशोर भगत, नागेंद्र सिंह, कुमार गौतम एवं बाबूलाल साह आदि ने बताया कि लग रहा है कि इस योजना का लाभ यहां के ग्रामीणों को नहीं मिल सकेगा। इन ग्रामीणों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हुए बताया कि पाइप तो बिछा दी गई है। लेकिन डीपीआर के अनुसार पाइप बिछाने के लिए गड्ढा भी नहीं किया गया है। कम खुदाई कर पाइप बिछाया गया है। जो टिकाउ नहीं है। वहीं कुल 28 गांवों में पानी आपूíत के लिए 42 सौ कनेक्शन दिया जाना है। लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं दिया गया है। तीन वर्ष के बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल सका है।

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विभागीय कनीय अभियंता कृष्णा लोहरा ने बताया कि इटेंकवेल में पानी नहीं रहने के कारण ग्रामीण पेयजलापूíत योजना चालू नहीं किया जा सका है। इसके लिए दो बिराज (बांध) निर्माण के लिए डीपीआर तैयार किया गया है। जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गई है।


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