जयंती पर याद किए पंडित राज कुमार शुक्ल
पंडित राजकुमार शुक्ल की 145 वीं जयंती के उपलक्ष्य पर दुमका में अधिवक्ता रेवती नन्दन चौधरी के आवास पर रविवार को एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम के उपस्थित लोगों के द्वारा उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता अधिवक्ता अरूण कुमार राय ने की। मनोज कुमार राय ने गोष्ठी का संचालन किया।
जागरण संवाददाता, दुमका: पंडित राजकुमार शुक्ल की 145 वीं जयंती के उपलक्ष्य पर दुमका में अधिवक्ता रेवती नन्दन चौधरी के आवास पर रविवार को एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम के उपस्थित लोगों के द्वारा उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता अधिवक्ता अरूण कुमार राय ने की। मनोज कुमार राय ने गोष्ठी का संचालन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेवती नन्दन चौधरी ने पंडित राजकुमार शुक्ल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंग्रेजी शासन में चंपारण के किसानों को नील की खेती करना आवश्यक था और वह कर के रूप में जाना जाता था। किसानों की दशा से पंडित जी व्यथित थे और उनकी पीड़ा को खत्म करने की जिद ठान ली। 19 लाख किसानों के मसीहा बनकर उभरे और अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया। स्वतंत्रता संग्राम का पहला जनआंदोलन सत्याग्रह आंदोलन कहलाया। वह बिहार की धरती के चंपारण में पंडित राजकुमार शुक्ल के ही अथक प्रयास का फल था। गांधी जी को बिहार से परिचित कराने वाले पंडित राजकुमार शुक्ल ही थे। गोष्ठी में संतोष कुमार राय, नमिता चौधरी, राजीव कुमार, श्रीधर राय, सोनू तनिष्क, रूचिका, शालिनी, निर्मला गोपाल, मिथलेश वर्मा, पुरूषोत्तम मिश्रा उपस्थित थे।