शहरी क्षेत्र में गांव को मिलाने का विरोध
दुमका : शहर के विस्तार में 42 गांव को नगर परिषद में शामिल किए जाने के विरोध में शुक्रवार को रानी¨डडा, खैरबानी, बागडूबीह, गिधनीपहाड़ी, जोगिडीह, अंगराईडीह, करहड़बिल, श्रीआमड़ा, सोनाडंगाल के गांवों के लोगों ने पुराने समाहरणालय कार्यालय के परिसर में धरना दिया।
दुमका : शहर के विस्तार में 42 गांव को नगर परिषद में शामिल किए जाने के विरोध में शुक्रवार को रानी¨डडा, खैरबानी, बागडूबीह, गिधनीपहाड़ी, जोगिडीह, अंगराईडीह, करहड़बिल, श्रीआमड़ा, सोनाडंगाल के गांवों के लोगों ने पुराने समाहरणालय कार्यालय के परिसर में धरना दिया। बाद में उपायुक्त कार्यालय में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा।
गांव के मंझी बाबा, जोग मंझी, नायकी, गुडि़त, प्राणिको, भोक्ताओं और ग्रामीणों ने एक स्वर में सरकार द्वारा गांव को मिलाने का विरोध किया। नगर परिषद के लिए मास्टर प्लान तैयार करनेवाली मार्स प्ला¨नग एवं इंजीनिय¨रग सर्विस कंपनी के विरुद्ध नारेबाजी की और कंपनी वापस जाओ, गरीबों, किसानों को उजाड़ना बंद करो जैसे नारे लगाए। वक्ताओं ने कहा कि पूर्व में भी सरकार को रैली प्रदर्शन कर और ग्रामसभा कर सरकार को ज्ञापन देकर अवगत कराया गया था कि 42 गांव किसी भी हालत में दुमका शहर में नहीं मिलना चाहते हैं, लेकिन सरकार के तरफ से कोई भी उत्तर नहीं आया। राज्य के अन्तर्गत यह जिला अनुसूचित क्षेत्र है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31 (ख) की पांचवी अनुसूची में (अनुसूचित क्षेत्र) में सूचीबद्ध संताल परगना काश्तकारी अधिनियम शहर के विस्तारीकरण के नाम पर कानून का उल्लंघन करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। जनजाति (आदिवासी) समाज की अपनी स्वशासन व्यवस्था है जिसे संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने का अधिकार मिला है। शहरीकरण के तहत अनुसूचित गांवों को मिलाने से यहा के ग्रामीणों को मिली कानूनी संरक्षण व सुरक्षा खत्म हो जाएगी। जिसके कारण आदिवासी के साथ मूलवासी, किसान, व गरीबों की जमीन का अतिक्रमण होगा। एक ओर सरकार आदिवासी और मूलवासी की भावना व हित के विरूद्ध एसपीटी व सीएनटी एक्ट का लगातार संशोधन की कोशिश कर रही है। गरीबों के मर्जी के विरुद्ध भूमि अधिग्रहण ला रही है। अब शहर के विस्तारीकरण कर गांवों को शहर में जोड़कर अनहित करने का प्रयास कर रही है। जिस गांव को दुमका शहर में जोड़ा जा रहा है वहां की 95 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है। किसी भी हालत में गांव को नगर परिषद में मिलने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष के राजनैतिक दल के साथ सभी प्रधान व मंझी संगठन इस शहरीकरण के विस्तार के मुद्दे में कुछ भी नहीं बोल रहे और न ही इसके विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इन सभी पाíटयों को आनेवाले चुनाव में इसका नतीजा भुगतना होगा। इन पाíटयों का वोट बहिष्कार भी किया जाएगा। धरना प्रदर्शन में कालीचरण हांसदा, अनिल कुमार टुडू, सुसाना हांसदा, हबील मुर्मू, मंजुलता सोरेन, जय¨चता सोरेन, मिस्त्री सोरेन, बुदिलाल किस्कू, सुकलाल मुर्मू, के अलावा बड़ी संख्या में महिला व पुरुष शामिल थे।