Move to Jagran APP

संकट में बिना डरे संघर्ष करना ही जीवन है : कथा व्यास

संवाद सहयोगी बासुकीनाथ जरमुंडी प्रखंड के पतसरा गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्त

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 05:43 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 05:43 PM (IST)
संकट में बिना डरे संघर्ष करना ही जीवन है : कथा व्यास
संकट में बिना डरे संघर्ष करना ही जीवन है : कथा व्यास

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: जरमुंडी प्रखंड के पतसरा गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के चौथे दिन बुधवार को कथा व्यास पंडित फणीभूषण पाठक ने गजेंद्र मोक्ष का प्रसंग सुनाते हुए भक्तों से कहा कि जब जीवन में संकट आता है तो कोई भी स्वजन साथ नहीं देते हैं। केवल भगवान ही उसकी पुकार सुनते हैं। इसीलिए परमात्मा ही अपने सगे हैं। हमें परमात्मा के शरणागत रहना चाहिए। कथा व्यास ने समुद्र मंथन प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में उन्नति के लिए उद्यम करते हैं, लेकिन इसमें विष जैसा परिणाम भी मिलता रहता है। इसलिए संकट से बिना डरे संघर्ष करना ही जीवन का ध्येय होना चाहिए। संघर्षशील को अंततोगत्वा अमृत रूपी फल प्राप्त होता ही है। इसी प्रसंग में समुद्र मंथन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि सत्य और असत्य की लड़ाई में भगवान किसी न किसी रूप में सत्य का ही साथ देते हैं। कथा व्यास ने सुबह के प्रवचन के दौरान वामन अवतार, श्रीराम अवतार की कथा विस्तारपूर्वक से सुनाई। जबकि संध्याकालीन प्रवचन के दौरान उन्होंने संपूर्ण प्राणियों को आनंद देने वाले कृष्ण अवतार की कथा में नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की भजन के माध्यम से कृष्ण जन्मोत्सव का अनूठा वर्णन प्रस्तुत किया। कथा व्यास के मुखारविद से भागवत कथा का रसपान करते हुए उपस्थित श्रोता भाव विभोर होकर भक्ति रस में झूमने लगे। भागवत कथा आयोजन समिति के अनिल मंडल व बालकृष्ण मंडल ने कहा कि इसमें 10 अप्रैल तक भागवत कथा व 11 अप्रैल को राम जानकी विवाहोत्सव मनाया जाएगा। इसमें प्रत्येक दिवस दो पालियों में भागवत कथा व संबंधित झांकी प्रदर्शित होगी। आयोजन को सफल बनाने में पतसरा भागवत कथा यज्ञ समिति के सदस्य बालकृष्ण मंडल, शंभु मंडल, गौरी शंकर मंडल, प्रधान महेश्वर मंडल, विश्वनाथ मंडल, अनिल मंडल, उदय शंकर मंडल सहित स्थानीय सभी ग्रामीण सक्रिय है।

loksabha election banner

--

. ऋषभदेव जैन संप्रदाय के प्रथम तीर्थंकर: फणीभूषण

--

कथा व्यास फणीभूषण पाठक ने श्रद्धालुओं को बताया कि जैन संप्रदाय की स्थापना ऋषभदेव ने ही किया। वह जैन संप्रदाय के प्रथम तीर्थंकर थे। पंचम स्कंध की कथा में भुवन कोष वर्णन, भारत वर्ष नव खंडों के विभाजन की कथा, ज्योतिषी ग्रह गणना, चक्र वर्णन, नरकानू वर्णन कथा सभी भक्तों को श्रवण कराया। बताया कि श्रीमद्भागवत का जयकारा लेकर हम कलयुग के त्राण एवं नरक में जाने से बच सकते हैं। कथा व्यास ने अजामिल उपाख्यान, नारायण कवच, हिरण कश्यप उद्धार, प्रहलाद को भागवत नरसिंह के अवतार में दर्शन व अन्य प्रसंगों का झांकी के माध्यम से वर्णन किया। बताया कि भगवान नाम संकीर्तन करने से या जीवन में एक बार भी हरी नाम लेने से अजामिल, हिरणकश्यप जैसों का उद्धार हरि करते हैं और जिस कुल में प्रहलाद जैसा भक्त जन्म लेता है।

-----------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.