लुटेरा गिरोह बनकर रह गया है नक्सली दस्ता
दुमका दुमका पुलिस का प्रयास रंग लाया और सात से आठ वारदात में शामिल तीन इनामी नक्सलियों ने शुक्रवार को पुलिस सभागार में सशस्त्र सीमा बल के आईजी संजय कुमार के सामने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद अधिकारियों ने तीनों को समाज के मुख्य धारा में लौटने पर बधाई दी।
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जागरण संवाददाता, दुमका : दुमका पुलिस का प्रयास रंग लाया और सात से आठ वारदात में शामिल तीन इनामी नक्सलियों ने शुक्रवार को पुलिस सभागार में सशस्त्र सीमा बल के आईजी संजय कुमार के सामने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद अधिकारियों ने तीनों को समाज के मुख्य धारा में लौटने पर बधाई दी। सरेंडर करने वालों में पांच लाख का इनामी काठीकुंड के आसनबनी गांव का सब जोनल कमांडर राजेंद्र राय उर्फ गहना राय ने एक रायफल, शिकारीपाड़ा के सीतासाल गांव का सब जोनल कमांडर रिमिल दा उर्फ सोकुल दा एक रायफल व एक लाख का ईनामी सक्रिय सदस्य काठीकुंड के सरूवापानी गांव का छोटा श्यामलाल देहरी ने पिस्टल के साथ समर्पण किया। जिला प्रशासन की ओर से पुनर्वास नीति के तहत सभी को तत्काल एक लाख नगद दिया गया। जबकि घोषित पुरस्कार, आत्मसमर्पण राशि व हथियार के लिए करीब आठ लाख रुपया उनके खाते में डाला जाएगा। वहीं सभी को पुनर्वास नीति पैकेज के तहत कुल एक करोड़ का लाभ दिया जाएगा। वहीं समर्पण के बाद तीनों को कोर्ट में पेश किया गया जहां से जेल भेज दिया गया।
इस मौके पर आईजी ने कहा कि एक समय में नक्सलियों की वजह से दुमका का नाम सुनकर लोग दहशत में आ जाते थे। नक्सलियों ने एसपी अमरजीत बलिहार समेत कितने अधिकारी और जवानों को मारा है। कितने ही निर्दाेष लोगों की जान ली है। उनके खात्मे के लिए एसएसबी ने पुलिस के साथ मिलकर अभियान चलाया और बीते साल 13 जनवरी को ईनामी ताला दा को मुठभेड़ में मार गिराया। इसके बाद कई नक्सलियों ने प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण किया और लोगों समाज के मुख्य धारा में लौट गए। अब भी दुमका में हमारा प्रयास जारी है और जो लोग शेष बचे हैं उनसे अपील है कि वो समर्पण कर नई जिंदगी की शुरूआत करें। दुमका एसपी वाईएस रमेश लगातार नक्सलियों का सरेंडर कराने के लिए उनके परिवार के संपर्क में थे। उनके प्रयास की वजह से अब तक दुमका में इन नक्सलियों को मिलाकर 12 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। नौ नक्सली ओपेन जेल में परिवार के साथ रह रहे हैं। जिला प्रशासन सभी को पुनर्वास नीति पैकेज के तहत सारी सुविधा दिलाने में लगा हुआ है। सरेंडर करने वालों को नीति का लाभ मिलेगा और गोली से मरने वालों को एक भी पैसा नहीं मिलना है। अब फैसला नक्सलियों को करना है कि वे परिवार के साथ रहना चाहते हैं या फिर गोली से मरना चाहते हैं। थाने के अलावा सरकारी संस्थान में भी हथियार डाल सकते हैं। अगर वे हमारे जवानों को नुकसान पहुंचाएंगे तो उन्हें मौत की नींद सुला दिया जाएगा। अब नक्सली का दस्ता एक लुटेरा गिरोह बन चुका है। इनका काम सिर्फ लेवी वसूलना तक सिमट कर रह गया है। आने वाले दिनों में दुमका ही नहीं, राज्य से नक्सलियों का खात्मा करके ही दम लिया जाएगा।
संताल परगना के डीआईजी राज कुमार लकड़ा ने एसपी के प्रयास की सराहना की। मौके पर डीसी राजेश्वरी बी, एसपी वाईएस रमेश, अभियान एएसपी आरसी मिश्रा, इमानबेल बास्की, एसएसबी के कमांडेंट एमके पांडेय, नरपत सिंह, ललित शाह व सहायक कमांडर गुलशन कुमार आदि मौजूद थे।
इन हथियारों के साथ समर्पण
दो रायफल, एक देशी पिस्टल
राजेंनद्र राय और रिमिल रायफल
श्यामलाल देहरी पिस्टल,