सजदे में झुके सिर, इबादत को उठे हाथ
जिले में शुक्रवार को अलविदा जुमे की नमाज अदा की गई। समुदाय के लोगों ने मस्जिदों के अलावा घरों में खुदा की इबादत करते हुए महामारी से निजात की दुआ मांगी। हालांकि घरों में नमाज अदा करने वालों की ही संख्या अधिक रही। हर जगह शारीरिक दूरी का बखूबी पालन किया गया।
जागरण टीम, दुमका/काठीकुंड: जिले में शुक्रवार को अलविदा जुमे की नमाज अदा की गई। समुदाय के लोगों ने मस्जिदों के अलावा घरों में खुदा की इबादत करते हुए महामारी से निजात की दुआ मांगी। हालांकि घरों में नमाज अदा करने वालों की ही संख्या अधिक रही। हर जगह शारीरिक दूरी का बखूबी पालन किया गया।
इससे पहले लोग माह-ए-रमजान में हर शुक्रवार की नमाज घर पर अदा करते रहे, लेकिन अलविदा नमाज अदा करने के लिए कुछ लोग मस्जिद भी पहुंचे। शहर के जरूवाडीहा के अलावा अन्य मस्जिदों में समुदाय के लोगों ने कोरोना महामारी को देखते हुए शारीरिक दूरी का पालन किया और मास्क पहना। ---------------------- रहमत व बरकत का महीना है रमजान
संवाद सहयोगी, काठीकुंड: वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप नमाजियों ने भीड़ से दूरी बनाते हुए अपने घरों में रहकर ही नमाज अदा की।
इमाम मुफ्ती मोहम्मद इलियास कासमी ने बताया कि रमजान का महीना बहुत ही रहमत व बरकत वाला है। आखिरी जुमे को अलविदा कहा जाता है। मान्यता है कि इस मुबारक महीने में कुरान शरीफ आसमान से उतरी थी। रमजान का महीना तमाम महीनों का सरदार है। पाक महीने में मोमिन की रोजी बढ़ा दी जाती है। मुबारक माह में जन्नत का दरवाजा खुल जाता है और दोजख का दरवाजा बंद हो जाता है। इसके अलावा बहुत सारी नेकी है, जिसे अल्लाह ताला की ओर से हर आदमी को अमल करने की हिदायत दी जाती है। इस दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भी मस्जिदों में दुआ मांगी गई।