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धाíमक पुरूष का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए : बालयोगी

रामगढ़ धाíमक पुरूष का साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। भागवत धर्म की रक्षा करती है। उक्त बातें रविवार को रामगढ़ के छोटी रणबहियार गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन रविवार को मथुरा के कथा व्यास राष्ट्रीय संत काष्णी बालयोगी ब्रह्मानंद ने कही। कहा कि महाभारत में विदुर दुर्योधन के प्रधानमंत्री थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 09:22 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 06:19 AM (IST)
धाíमक पुरूष का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए : बालयोगी
धाíमक पुरूष का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए : बालयोगी

फोटो 013, 014

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संवाद सहयोगी, रामगढ़: धाíमक पुरूष का साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। भागवत धर्म की रक्षा करती है। उक्त बातें रविवार को रामगढ़ के छोटी रणबहियार गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन रविवार को मथुरा के कथा व्यास राष्ट्रीय संत काष्णी बालयोगी ब्रह्मानंद ने कही। कहा कि महाभारत में विदुर दुर्योधन के प्रधानमंत्री थे। विदुर एक संत और धाíमक पुरूष थे। एक दिन विदुर ने अपमानित होकर दुर्योधन का साथ छोड़ा और उसी दिन से दुर्योधन का नाश होना प्रारंभ हो गया। इसी प्रकार विभीषण भी एक धाíमक व्यक्ति थे। उन्होंने भी जब से लंकापति रावण का साथ छोड़ा तब से रावण का पतन होना प्रारंभ हो गया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा का अमृतपान अवश्य करना चाहिए। हमें कैसे मरना चाहिए इसका ज्ञान भागवत कथा से ही होता है। मरते तो सभी प्राणी है लेकिन हमें कुछ ऐसे करके मरना चाहिए ताकि लोग हमें सदियों तक याद रख सके। कहा कि सतयुग में ग्रह लड़ते थे, त्रेता युग में देश, द्वापर में भाई और कलयुग में हर क्षण हर रिश्ते में लड़ाई होती है। कलयुग में रावण प्रवृति के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है इसे दूर करने के लिए ही सभी लोगों को भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। भागवत कथा इंसानों के लिए ही है। 84 लाख योनियों में मानव ही एक ऐसा जीव है जो सिर उठाकर चलता है। बांकी सभी जीव सिर झुका कर चलते हैं। भागवत कथा के पहले दिन शनिवार की संध्या पंडाल का उद्घाटन दुमका के सांसद सुनील सोरेन ने फीता काटकर किया। सांसद ने भागवत कथा के सफल आयोजन के लिए छोटी रणबहियार के ग्रामीणों को धन्यवाद दिया।


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