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राम से मर्यादा व कृष्ण से जीवन जीने की सीख

संवाद सहयोगी बासुकीनाथ मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा अपनों से हाय कैसा व्यवह

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 12:37 AM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 12:37 AM (IST)
राम से मर्यादा व कृष्ण से जीवन जीने की सीख
राम से मर्यादा व कृष्ण से जीवन जीने की सीख

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा, अपनों से हाय कैसा व्यवहार है तुम्हारा.. गीत के माध्यम से कथा व्यास संजयानंद महाराज ने रविवार को गोपियों की वेदना के प्रसंग को जीवंत कर दिया। शालीग्रामेश्वरनाथ से आए कथा व्यास ने जरमुंडी के हथनंगा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के छठे दिन भागवत कथा में गोपियों की विरह वेदना, कृष्ण की रासलीला प्रसंग की चर्चा की। कथा व्यास ने मार्मिक भाव से विरह वेदना के कड़ियों को इस कदर पिरोया कि श्रद्धालु भावविभोर होकर झूमने लगे। कथा व्यास संजयानन्द महाराज ने कहा कि राम अवतार जनमानस को मर्यादा सिखाने के लिए हुआ है। कृष्ण अवतार संसार में जीने के तरीके को सिखाता है। भगवान के दरबार में बड़ा छोटा धनी निर्धन सभी बराबर है सबों का मान बराबर है।

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प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गोपियां व्याकुल होकर अपने कान्हा को ढूंढती है। वह पीपल, तुलसी तथा मालती लता से कृष्ण का पता पूछती हैं। गोपियों के मन में आए भाव को समाप्त करने के लिए ही भगवान ने रास रचाया। गोपियों के मन में जो अभिमान आया था उसे दूर करने के लिए भगवान रास के बीच में छुप गए। गोपियां वृंदावन में व्यग्र होकर कान्हा को ढूंढती है। विरह वेदना में अपने प्रियतम को पुकारती है और भगवान दो-दो गोपियों के बीच प्रकट होकर रास रचाते हैं। कथा व्यास ने कहा कि कृष्ण की वेणुनाद सुनते ही गोपियां व्यग्र हो उठी और रास में उपविष्ठ हुई। योग माया के साथ भगवान ने गोपियों के संग रास किया और भागवत में रास पंचाध्याय की महत्ता को प्रतिपादित किया। इसीलिए कृष्ण लीला में रास की पराकाष्ठा एवं माधुर्य की चरम सीमा मानी जाती है। कथा व्यास ने रासलीला की व्याख्या कर जनसमूह को भक्ति सागर में गोते लगाने को विवश कर दिया। आयोजन समिति के सदस्य निरंजन मंडल ने कहा कि श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ का सोमवार को कथा विश्राम होगा। इस भागवत कथा में बतौर यजमान गौरीशंकर मंडल सपत्नीक भाग ले रहे हैं।

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कृष्ण रुक्मिणी विवाह पर झूमे श्रद्धालु

श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह का आयोजन हुआ। कथा व्यास ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उसमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया।


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