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कचरा सोख सूख गया तालाब, अब बहा रहा आंसू

रामगढ़ प्रखंड की सुसनियां पंचायत अंतर्गत कड़बिधा स्थित लाल पोखरा को संवारने के लिए किसी भागीरथ का इंतजार है। वर्षो पूर्व बाजार में जल संचयन के लिए लगभग डेढ़ बीघा सरकारी जमीन पर तालाब का निर्माण करवाया गया था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 07:11 PM (IST)
कचरा सोख सूख गया तालाब, अब बहा रहा आंसू

संवाद सहयोगी, रामगढ़: रामगढ़ प्रखंड की सुसनियां पंचायत अंतर्गत कड़बिधा स्थित लाल पोखरा को संवारने के लिए किसी भागीरथ का इंतजार है। वर्षो पूर्व बाजार में जल संचयन के लिए लगभग डेढ़ बीघा सरकारी जमीन पर तालाब का निर्माण करवाया गया था। प्रारंभ में इस तालाब में सालों भर पानी रहता था। मत्स्य विभाग ने कुछ साल तक मछली पालन भी कराया। इसके लिए एक वर्ष का डाक लगाई जाती थी। तालाब में पानी रहने के कारण कड़बिधा के लोग इसमें स्नान समेत अन्य कार्य करते थे।

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धीरे-धीरे तालाब की स्थिति बिगड़ने लगी। आसपास के लोग तालाब में कचरा फेंकने लगे तो यह सिमट गया। अब इसमें बड़ी झाड़ियां उग आई। तालाब को संवारने के लिए कई बार पंचायत की मुखिया लक्ष्मी देवी समेत अन्य ग्रामीणों ने प्रयास भी किया, लेकिन सफल नहीं हो सके। ग्रामीणों ने कई बार भूमि संरक्षण विभाग से तालाब का जीर्णोद्वार कराने का प्रयास भी किया। सारे कागजात जमा करने के बाद भी विभाग से केवल आश्वासन ही मिला। पहले इस तालाब में सालों भर पानी रहता था। आसपास की लगभग एक एकड़ जमीन में इस तालाब में सिचाई भी होती थी। तालाब के आसपास केवट समुदाय के लोग रहते हैं, जो इसी तालाब में मछली पालन कर अपनी जीविका भी चलाते थे, लेकिन तालाब में सालों भर पानी नहीं रहने के कारण इसका अस्तित्व समाप्त होने लगा है।

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लाल पोखरा को संवारने का पूरा प्रयास किया जाएगा। काफी दिनों से प्रशासनिक स्तर पर तालाब में काम करवाने की कोशिश की जा रही है लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है। तालाब को फिर से उसके रूप में लाया जाएगा।

रंजीत कुंवर, उप मुखिया सुसनियां पंचायत

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पूर्व में कई बार तालाब का जीर्णोद्वार का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। तालाब कड़बिधा बाजार के ग्रामीणों के लिए काफी जरूरी है। तालाब में पानी रहने से यहां के लोग स्नान समेत अन्य काम इसी तालाब से कर सकते हैं।

दिलीप कुमार भंडारी

ग्रामीण कड़बिधा

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तालाब के अधिकांश हिस्से की मिट्टी से धंस चुकी है। खुदाई कर नया जीवनदान देना है। ढालनुमा जमीन में बने होने की वजह से वर्षा का जल संचय हो सकता है। इसके लिए सामूहिक प्रयास किया जाएगा।

योगेंद्र कुंवर, ग्रामीण, कड़बिधा

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इतना बड़ा तालाब आसपास के एरिया में नहीं है। सरकार को इसके अस्तित्व को बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके लिए कड़बिधा के ग्रामीण सदैव आगे रहेंगे। तालाब में मिट्टी धंस जाने के कारण इसमें सालों भर पानी नहीं रहता है।

अशोक मंडल, कड़बिधा


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