..तब सिर्फ चुनाव के समय ही दिखते थे नेताजी
वर्ष 1967 से वोट डाल रहे 80 वर्षीय हिमांशु मंडल बताते हैं कि तब चुनाव के समय ही नेताजी के दर्शन हो पाते थे।
रामगढ़ : एक समय था जब लोग वोट सोच-समझकर देते थे। आज पैसे का बोलबाला है। आज के दौर में वोट सिर्फ पैसे के बल पर दिया जाता है। यह मानना है भतुड़िया बी पंचायत अंतर्गत सारमी गांव के पूर्व मुखिया 80 वर्षीय हिमांशु कुमार मंडल का। हिमांशु कुमार मंडल 'दैनिक जागरण' से पहले और अब के चुनाव में आए बदलाव को लेकर अपने अनुभवों को साझा कर रहे थे। हिमांशु कुमार मंडल बताते हैं कि पहले रामगढ़ गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में आता था। वहीं इस क्षेत्र के लोग पोड़ैयाहाट विधानसभा में शामिल थे। तीसरे आम चुनाव में पहली बार मतदान किया था। उस वक्त केवल दो ही पाíटयां कांग्रेस पार्टी तथा जनसंघ थी। कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न जोड़ा बैल तथा जनसंघ का चुनाव चिह्न दीया छाप था। वर्ष 1962 में हुए तीसरे आम चुनाव में उस वक्त गोड्डा लोकसभा से कांग्रेस के प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका व जनसंघ के तुलसियान चुनाव लड़ रहे थे। इसमें कांग्रेस के प्रभुदयाल हिम्मत सिंहका ने चुनाव जीता। पुराने दौर की याद को ताजा करते हुए हिमांशु बताते है कि उस वक्त चुनाव के लिए नेताओं को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ती है। सभी गांव तक पहुंचने के लिए मार्ग भी उपलब्ध नहीं था इसलिए मुख्य गांव के कुछ गणमान्य लोगों के पास ही प्रत्याशी व अन्य नेता आते थे और उनके पास ही चुनाव का प्रचार किया जाता था। इसके बाद गांव के गणमान्य व्यक्ति लोगों को वोट के बारे में जानकारी दिया जाता था। उस वक्त केवल उम्मीदवार को देखकर लोग मतदान करते थे। 1972 में पहली बार दुमका लोकसभा बना व यहां से पहले सांसद पृथ्वी चन्द्र किस्कू हुए थे। वहीं 1972 में ही रामगढ़ को पोड़ैयाहाट विधानसभा से काटकर जामा विधानसभा बनाया गया। जामा विधानसभा से रामगढ़ प्रखंड के कोनापाथर गांव के मदन बेसरा पहले विधायक हुए थे। पहले मतदान को लेकर लोगों के बीच कोई उत्साह नहीं दिखता था। सभी लोगों को मतदान की जानकारी भी नहीं हो पाती थी। पहले प्रशासनिक अधिकारी भी कोई प्रचार प्रसार नहीं करते थे। यदि कोई नेता सांसद बन गया तो उनसे दुबारा मुलाकात हो पाना मुश्किल था। वह क्षेत्र में सिर्फ चुनाव के समय ही आते हैं। हिमांशु ने कहा कि आज के दौर में सिर्फ पैसे के बल पर चुनाव कराया जाता है। वहीं प्रशासन भी मतदान को लेकर लोगों को काफी जागरूक कर रहा है। पहले और आज के दौर में काफी बदलाव आ गया है। पहले सादगी से चुनाव प्रचार किया जाता था लेकिन आज शोर मचाकर प्रचार किया जाता है।