टांगदाहा से पाटुशाला तक मिल जाए नहर तो किसानों की बल्ले-बल्ले
रानीश्वर हरिपुर पंचायत के आदिवासी बाहुल्य पाटुशाला गांव में 170 खेतिहर मजदूर परिवार हैं। इस वर्ष यहां खरीफ की खेती नहीं हुई है। टांगदहा से पाटुशाला तक जो नहर है। उसे यदि जोड़ दिया जाए। तो यहां के किसान खेती करने लग जाएंगे। पाटुशाला गांव के किसान दुर्गा बास्की का मात्र पंद्रह कट्ठा जमीन है। दूसरे का जमीन बटाई लेकर खेती कर किसी तरह परिवार का गुजर बसर है।
रानीश्वर : हरिपुर पंचायत के आदिवासी बाहुल्य पाटुशाला गांव में 170 खेतिहर मजदूर परिवार हैं। इस वर्ष यहां खरीफ की खेती नहीं हुई है। टांगदहा से पाटुशाला तक जो नहर है। उसे यदि जोड़ दिया जाए। तो यहां के किसान खेती करने लग जाएंगे। पाटुशाला गांव के किसान दुर्गा बास्की का मात्र पंद्रह कट्ठा जमीन है। दूसरे का जमीन बटाई लेकर खेती कर किसी तरह परिवार का गुजर बसर है। पानी का अभाव में इस साल पंद्रह कट्ठा जमीन में खेती नहीं हुई है। गांव के बाबूधन टुडू का चार बीघा जमीन है। बाबूधन का भी जमीन में खेती नहीं हुई है, आसपास में काम भी नहीं मिल रहा है। दिलीप सोरेन का एक बीघा दस कट्ठा जमीन है, जो सूखा पड़ा है। प्रखंड स्तर से मनरेगा के तहत जो कार्य होता है उस कार्य का समय पर भुगतान नहीं होता है। दिलीप का दो पुत्र रोजगार की तालाश में गुजरात एवं हैदराबाद चला गया है। बाबूरजी बास्की का चार बीघा खेत भी पानी के लिए तरस रहा है। पंचायत के टांगदहा तक बढ़ा नदी जलाशय योजना के नाहर से किसानों को पटवन उपलब्ध होता है। गांव के किसान रविलाल हेंब्रम, लिपटन बास्की, अजय बास्की, सोनातन बास्की ने बताया कि सिचाई विभाग के दस किलोमीटर लंबे इस नहर का हाल ही में पक्कीकरण कराया गया है। टांगदहा से पाटुशाला तक उस नहर को जोड़ देने से यहां के किसान खेती करने लायक हो जाएंगे। ग्रामीणों ने सिचाई अवर प्रमंडल रांगालिया के सहायक अभियंता के पास कई बार फरियाद कर चुके हैं।