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आठ से भूख हड़ताल पर बैठे डैम विस्थापितों की प्रशासन को नहीं परवाह

रानीश्वर : मसानजोर डैम विस्थापित किसान संघर्ष मोर्चा के सचिव प्रियनाथ पाठक एवं धनेश्वर मिस्त्री 11 स

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 07:14 PM (IST)
आठ से भूख हड़ताल पर बैठे डैम विस्थापितों की प्रशासन को नहीं परवाह
आठ से भूख हड़ताल पर बैठे डैम विस्थापितों की प्रशासन को नहीं परवाह

रानीश्वर : मसानजोर डैम विस्थापित किसान संघर्ष मोर्चा के सचिव प्रियनाथ पाठक एवं धनेश्वर मिस्त्री 11 सूत्री मांगों के समर्थन में सात दिन से डैम प्रबंधन के शिशु बगान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। शनिवार को जामा, मसलिया, शिकारीपाड़ा, रानीश्वर एवं सदर प्रखंड दुमका के भी कई मयूराक्षी विस्थापित किसान भूख हड़ताल के समर्थन में मसानजोर के धरना स्थल पर पंहुच कर इनका आत्मबल बढ़ाया है। 11 सूत्री मांग पर संघर्ष मोर्चा के सदस्य पांच मई से यहां भूख हड़ताल पर है।

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बताते चलें कि प्रथम पंचम वर्षीय परियोजना के तहत कनाडा सरकार के आíथक सहयोग से यहां मयूराक्षी नदी पर एक किलोमीटर लंबा डैम का निर्माण कराया गया है। इस डैम के जलाशय में शिकारीपाड़ा, मसलिया, जामा एवं सदर प्रखंड के 144 मौजा के लोग विस्थापित हुए हैं।

इस डैम की वजह से 17 हजार एकड़ जमीन जलमग्न हुआ है। इसी जमीन की मुआवजा के मांग पर किसान संघर्ष मोर्चा का आंदोलन जारी है। मसानजोर डैम सदर प्रखंड दुमका में पड़ता है। डैम का नियंत्रण पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के अधीन ¨सचाई विभाग के अधीन है। इस डैम का निर्माण ¨सचाई एवं पनबिजली के लिए किया गया है। डैम से 90 फीसद ¨सचाई सुविधा पश्चिम बंगाल के किसानों को मिलता है। पनबिजली उत्पादन अनियमित है। केंद्रीय जल आयोग के अधीन इस डैम से विस्थापितों को मुआवजा की भुगतान नहीं होने का आरोप लगाने के साथ किसान संघर्ष मोर्चा ने विस्थापित किसानों को जाति, निवासी प्रमाण पत्र निर्गत कराने में हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया है। साथ ही सरकारी नियुक्ति में विस्थापितों के लिए 50 फीसद आरक्षण की मांग भी शामिल है।

इधर लगातर भूख हड़ताल पर बैठे किसानों की मांग को लेकर डैम प्रबंधन एवं दुमका जिला प्रशासन उदासीन है। आठ दिन से भूख हड़ताल पर बैठे पाठक एवं मिस्त्री का मेडिकल चेकअप कराने की भी जरूरत नहीं समझ रहे हैं। शिशु बगान के जिस जगह धरनास्थल है वहां गंदगी का अंबार है। सचिव पाठक के अनुसार डैम प्रबंधन एवं दुमका के जिला प्रशासन चाहती है कि भूख हड़ताल पर बैठे किसानों के साथ कोई अनहोनी हो जाए और इसके बाद यह गंभीर अंतर्राज्यीय मुद्दा शिथिल पड़ जाए। किसानों ने कहा कि वे जान दे देंगे पर बिना ठोस कार्रवाई के आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे।


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