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कलियुग में भागवत कथा सुनने से मिलती है मुक्ति

संवाद सहयोगी बासुकीनाथ जरमुंडी के पतसरा गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 12:08 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 12:08 AM (IST)
कलियुग में भागवत कथा सुनने से मिलती है मुक्ति
कलियुग में भागवत कथा सुनने से मिलती है मुक्ति

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ : जरमुंडी के पतसरा गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के पांचवें दिन गुरुवार को कथा व्यास फणीभूषण पाठक ने श्रीकृष्ण की बाल लीला का मनोहरी वर्णन किया। श्रीकृष्ण के बाल लीला की झांकी देखकर उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो गए।

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कथा व्यास ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मन के विकार दूर हो जाते हैं। समर्पण भाव से ही प्रभु मिलते हैं। भागवत कथा समस्त वेद वेदांगों का सार है। यह वेद रूपी कल्पवृक्ष का मधुर पके हुए फल के फल के समान है। सभी वेद वेदांग, उपनिषद, पुराण, धर्म शास्त्रों का निचोड़ सार इसी में निहित है। भागवत कथा के मर्म को समझने के बाद कुछ भी समझना शेष नहीं रह जाता है। भागवत कथा कथा का प्रादुर्भाव चतुश्लोकी भागवत के रूप में भगवान श्री मननारायण से हुआ। व्यास जी के द्वारा चतुश्लोकी भागवत को 18 हजार श्लोकों में व्याख्या कर इस दिव्य ज्ञान को सुकदेव जी को प्रदान किया गया। सुकदेव जी ने इसे राजा परीक्षित को सुनाया गया। इस तरह यह हम सभी को प्राप्त है।

कलयुग में यह कथा मुक्ति प्रदायिनी है।

इस मौके पर ब्रज में नंदोत्सव, नंद-वासुदेव संवाद, पूतना वध कथा, लीलावत उद्धार कथा, बकासुर, अघासुर, केंसी उद्धार कथा, ब्रह्मा जी द्वारा बछड़ों सहित गोपों को एक वर्ष तक ब्रह्मलोक में छिपा कर रखना व ब्रह्माजी द्वारा स्तुति करना, लीला प्रसंग, भगवान कृष्ण द्वारा कंस वध, शरद ऋतु वर्णन, गोपियों के वस्त्र हरण लीला, यज्ञ पत्नियों पर अपनी कृपा करना, ब्रज में इंद्र की पूजा बंद करा कर भगवान गोवर्धन नायक की पूजा प्रारंभ करना, एक रूप में कृष्ण व दूसरे रूप में गोवर्धन बनकर पूजन कराना की व्याख्या व झांकी प्रदर्शित किया। भागवत कथा में कथा व्यास ने भगवान की बाल लीला, माखन चोरी, मटकी फोड़, लीला झांकी के माध्यम से प्रस्तुति की।

व्यास जी ने बताया कि भगवान ने गोवर्धन पर्वत को सात वर्ष की आयु में सात दिन व रात अपनी अंगुली पर धारण किया। इंद्र को जब अपने अपराध के बारे में ज्ञात हुआ तब इंद्र स्तुति करने व्रज में आता है। भगवान इंद्र को क्षमा कर देते हैं। भगवान ने इंद्र को इसलिए क्षमा किया कि उन्होंने सभी गोप गोपियों को भगवान का सानिध्य प्रदान करवाया था। आयोजन समिति के अनिल मंडल व बालकृष्ण मंडल ने कहा कि इसमें 10 अप्रैल तक भागवत कथा व 11 अप्रैल को राम जानकी विवाहोत्सव मनाया जाएगा। कार्यक्रम को सफल बनाने में पतसरा भागवत कथा यज्ञ समिति के सदस्य बालकृष्ण मंडल, शंभु मंडल, गौरी शंकर मंडल, प्रधान महेश्वर मंडल, विश्वनाथ मंडल, अनिल मंडल, उदय शंकर मंडल आदि जुटे हैं।


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