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रसोइया की मांग पर गंभीरता से विचार करे सरकार

दुमका पुराना समाहरणालय परिसर में रविवार को मिड डे मील बनाने वाली कर्मियों की बैठक हुई। संघ की अध्यक्ष बिटिया मांझी ने कहा कि सरकारी विद्यालय में सबसे पहले पहुंचने वाली और सबसे अंतिम में घर जाने वाली रसोईया ही है। सभी पूरी तरह से आदिवासी अनु जाति पिछड़ी जाति व गरीब तबके की महिलांए हैं। इतना काम करने के बाद भी सभी को मानदेय के रूप में प्रतिदिन 50 रुपया दिया जाता है। वह भी साल में 10 महीना ही दिया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 06:00 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:00 PM (IST)
रसोइया की मांग पर गंभीरता से विचार करे सरकार
रसोइया की मांग पर गंभीरता से विचार करे सरकार

जागरण संवाददाता, दुमका : पुराना समाहरणालय परिसर में रविवार को मिड डे मील बनाने वाली कर्मियों की बैठक हुई।

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संघ की अध्यक्ष बिटिया मांझी ने कहा कि सरकारी विद्यालय में सबसे पहले पहुंचने वाली और सबसे अंतिम में घर जाने वाली रसोईया ही है। सभी पूरी तरह से आदिवासी अनु जाति, पिछड़ी जाति व गरीब तबके की महिलांए हैं। इतना काम करने के बाद भी सभी को मानदेय के रूप में प्रतिदिन 50 रुपया दिया जाता है। वह भी साल में 10 महीना ही दिया जाता है। पिछली सरकार में आवाज उठाने पर पुलिस ने लाठी चला दी जाती थी। किसी तरह से आवाज को बंद कराने का प्रयास किया जाता था। अब राज्य में सत्ता बदल चुकी है। हेमंत की सरकार को महिलाओं की मांग के प्रति गंभीरता से सोचने की जरूरत है। महिलाओं को उनका हक दिलाना चाहिए। बैठक में हेमंती देवी, लीलमुनीम, संजू देवी, शोभा देवी, पान मुनि हेंब्रम आदि मौजूद थीं।


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