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संथाली को प्रथम राजभाषा बनाए राज्य सरकार

जागरण संवाददाता दुमका अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर रविवार को दुमका के सिदो-कान्हु चौ

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 12:31 AM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 12:31 AM (IST)
संथाली को प्रथम राजभाषा बनाए राज्य सरकार
संथाली को प्रथम राजभाषा बनाए राज्य सरकार

जागरण संवाददाता, दुमका : अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर रविवार को दुमका के सिदो-कान्हु चौक पर आदिवासी सेंगेल अभियान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया। आदिवासी सेंगेल अभियान के संताल परगना प्रभारी विमो मुर्मू ने कहा कि मुख्यमंत्री संथाली को हिदी के साथ झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। झामुमो इस मसले पर चुप है। ये लोग संताली भाषा,साहित्य और संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया जा रहा है।

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कहा कि आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं झारखंड के राज्यपाल को पत्र लिखकर इसे हिदी के साथ अनुच्छेद 345 के तहत झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने की मांग कर चुके हैं। मातृभाषा दिवस है। गौरव का दिन है। झारखंड राज्य में आदिवासी भाषाओं में से संताली भाषा की एक बड़ी आबादी है। इसकी विस्तृत साहित्य और संस्कृति है। यह 22 दिसम्बर 2003 को 8वीं अनुसूची में शामिल हुई है। हिदी, बांग्ला, उड़िया आदि भाषाओं की तरह राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है। पुतला दहन के दौरान संताल परगना प्रमंडलीय अध्यक्ष कमिश्नर मुर्मू, दुमका जिला अध्यक्ष सुनील मुर्मू, मनोज हांसदा, विनोद मुर्मू, पंकज हेंब्रम, बर्नाड हांसदा, रंजीत मुर्मू, प्रेम प्रकाश मुर्मू, फिलिप टुडू, आशा हेंब्रम, बिटिया हेंब्रम, सुकुल हेंब्रम, सुनील हंसदा, लखिद्र हेंब्रम, संजय राय, रोबिन टुडू, रमेश टुडू, उज्जवल मुर्मू, शिवराम मुर्मू, सूरज हेंब्रम, बाइबिल किस्कू, पुलिस हेंब्रम आदि थे।

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मसलिया में पुतला फूंक जताई नाराजगी

संवाद सूत्र, मसलिया : आदिवासी सेंगेल अभियान के सदस्यों ने सीताशाल मिशन मोड़ व देतीयरपुर में संथाली भाषा को राज्य की प्रथम राज्य भाषा नहीं बनाने के विरोध में मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया। प्रखंड संयोजक मानवेल हांसदा ने बताया कि मुख्यमंत्री कुछ नहीं कर रहे हैं। जब तक संथाली भाषा को राज्य की प्रथम भाषा नही बनाया जाता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। पुतला दहन करने वालों में रमेश टुडू, रुविन टुडू, गुणाधान सोरेन, होपना हेम्ब्रम, लखीराम हांसदा, मीना सोरेन व चतुर मुर्मू आदि शामिल थे।


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