इस बार बजट में सिचाई की मुकम्मल व्यवस्था के संग डीजल का भाव हो कम
सूबे की उपराजधानी दुमका की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन बसर का मुख्य साधन खेती ही है। उद्योग-धंधा के मामले में पिछड़ेपन का दंश झेल रहा दुमका के लिए कृषि भी कोई वरदान नहीं है। वर्षा आधारित खेती ही यहां के किसानों के भाग्य की जय-विजय है।
जागरण संवाददाता, दुमका: सूबे की उपराजधानी दुमका की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन बसर का मुख्य साधन खेती ही है। उद्योग-धंधा के मामले में पिछड़ेपन का दंश झेल रहा दुमका के लिए कृषि भी कोई वरदान नहीं है। वर्षा आधारित खेती ही यहां के किसानों के भाग्य की जय-विजय है। बारिश ठीक तो खेती भी संतोषजनक और इंद्र ने दगा दिया तो सालों भर पलायन का दंश तो है ही। सबसे बड़ी बात यह कि राज्य गठन के बाद झारखंड के अधिकांश कृषि मंत्री संताल परगना से ही बने हैं। वर्तमान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी दुमका जिले के ही जरमुंडी विधानसभा से विधायक हैं। ऐसे में इस बजट में यहां के लोगों को उनसे खास उम्मीदें हैं।
हालांकि इस क्षेत्र के किसानों को सबसे ज्यादा अगर किसी की जरूरत है तो वह कृषि मंत्री भी ज्यादा जल संसाधन विभाग के मंत्री से है क्योंकि इस इलाके में सिचाई की मुकम्मल व्यवस्था की कृषकों की तकदीर को बदल सकती है। ऐसी बात भी नहीं कि राज्य गठन के बाद सूबे में सिचाई के नाम पर प्रयास नहीं हुए हैं लेकिन सही तरीके से आकलन किया जाए तो जितनी धन राशि सिचाई के नाम पर अब तक खर्च कर दी गई है उसके एवज में खेतों की दरारें अब भी जस की तस हैं। सिचाई परियोजनाओं में गड़बड़झाला सर्वविदित है। योजनाओं की उपयोगिता को लेकर जो सवाल उठते रहे हैं वह अलग है। बहरहाल, कृषि बजट से यहां के किसानों को खास उम्मीदें हैं। उम्मीद है कि सरकार किसानों के हित में मुकम्मल व्यवस्था तय करेगी। डीजल के भाव में उछाल से किसानों को चौतरफा मार है। सरकार बजट में इस पर भी ध्यान अवश्य दे ऐसी सोच किसानों के मन में है। वर्षा आधारित कृषि से किसानों को निजात मिले और सालों भर खेती की व्यवस्था हो। अनुदानित दर पर मिलने वाली कृषि यंत्रों की गुणवत्ता व वाजिब हकदारों तक इसे पहुंचाने की व्यवस्था बजट में स्पष्ट तौर पर होनी चाहिए।
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एक्सपर्ट व्यू
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संताल परगना में उद्योग-धंधा नहीं है। निकट भविष्य में भी उद्योग-धंधों के स्थापित होने की उम्मीद नहीं दिखती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि यहां कृषि विकास पर विशेष ध्यान दे। बजट में इसके लिए खास व्यवस्था करे ताकि किसान सालों पर खेती कर सकें। सरकार को इस इलाके की सिचाई व्यवस्था प्राथमिकता के तौर पर सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
राजेंद्र कुमार, अधिवक्ता, दुमका
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सरकार को सभी प्रकार के फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना चाहिए ताकि किसानों को नुकसान नहीं हेा। बजट में सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि यदि फसल का उचित दाम नहीं मिलता है तो इस स्थिति में किसानों को मुआवजा मिले।
महेश कुमार, किसान, रामगढ़
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किसानों को नई तकनीकी के साथ खेती करने के लिए प्रशिक्षण के लिए विशेष बजट बनाना चाहिए। पशुपालन के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग को अधिकांश संख्या में अनुदानित दर पर पशु उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो। सिचाई सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
उद्धव मांझी, बौंड़िया, रामगढ़
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किसानों की आय को बढ़ाने के लिए खेती के साथ पशुपालन पर भी बजट में व्यवस्था होनी चाहिए। मछलीपालन, बकरीपालन, सूकरपालन, मुर्गीपालन, गोपालन की योजनाओं में पिछड़ा वर्ग को विशेष छूट देना चाहिए। मध्यम वर्ग के किसानों के हित में रखकर बजट तैयार करना चाहिए।
रवि शंकर प्रसाद, रामगढ़
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किसानों के हित में रखकर बजट तैयार करना होगा। हर खेत को सिचाई सुविधा मिले इसका ध्यान रखना चाहिए। किसानों को उत्तम गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना प्राथमिकता में हो। उन्नत बीज नहीं होने के कारण फसल की पैदावार अच्छी नहीं होती है। इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
हीरालाल राय, जोगिया रामगढ़
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कृषि क्षेत्र के विकास के लिए बजट में विशेष प्रविधान होना चाहिए। जैविक खाद, उर्वरक, कृषि यंत्र क्रय में विशेष रियायत मिलना चाहिए। किसानों को मदद पहुंचाने एवं किसानों की खेती में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों में किसानों को छूट की व्यवस्था हो।
कृष्णा मंडल, किसान बांधडीह, जरमुंडी
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किसानों के लिए बिजली बिल में रियायत के साथ सिचाई के लिए मशीन एवं खाद व बीज रियायती दर पर मिले। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए बजट बनाया जाए। किसानों के लिए विशेष राहत मिलनी चाहिए।
हितुराम कापरी, किसान बनवारा, जरमुंडी
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वर्तमान समय में किसान अतिवृष्टि और अनावृष्टि दोनों से लगातार प्रभावित हैं। किसानों को फसल का नुकसान होने पर फसल बीमा का समय पर भुगतान मिलनी चाहिए। किसानों को सहज व सामान्य प्रक्रिया के तहत कृषि ऋण प्रदान किया जाना चाहिए।
उमेश प्रसाद यादव, किसान पहाड़पुर बनवारा, जरमुंडी
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किसानों की उपज का सही मूल्य प्राप्त हो। किसानों को अपने उपज को बेचने के लिए लैम्प्स का चक्कर नहीं काटना पड़े। किसानों की उपज का सही मूल्य सही समय पर प्राप्त हो इस को ध्यान में रखते हुए बजट बनाया जाना चाहिए।
कपूरचंद कुंवर, किसान जरमुंडी
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. किसानों के लिए समीपस्थ प्रखंड मुख्यालय में शीतगृह की व्यवस्था हो ताकि वह अपने उपज को संरक्षित रख सके एवं सही समय आने पर अच्छे दामों में अपने उपज को बेच सके। सरकार को बजट में सभी प्रखंडों में किसानों के लिए उच्च क्षमता वाले शीतगृह का निर्माण कराया जाना चाहिए।
नाजिर मंडल, किसान जरमुंडी