दुमका में दीदीबाड़ी योजना लक्ष्य से पीछे
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना दीदी बाड़ी दुमका जिले में लक्ष्य से पीछे है। जाहिर है इसके जरिए कुपोषण से जंग और ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का सपना साकार करने की मंशा सरकार की है लेकिन लक्ष्य पूरा नहीं होने की स्थिति में सपना अधूरा ही रह जाने की आशंका है।
जागरण संवाददाता, दुमका: सरकार की महत्वाकांक्षी योजना दीदी बाड़ी दुमका जिले में लक्ष्य से पीछे है। जाहिर है, इसके जरिए कुपोषण से जंग और ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का सपना साकार करने की मंशा सरकार की है, लेकिन लक्ष्य पूरा नहीं होने की स्थिति में सपना अधूरा ही रह जाने की आशंका है।
दुमका जिले के सभी 10 प्रखंडों को मिलाकर इस योजना से 22 हजार लाभुकों को जोड़ने का लक्ष्य तय है, लेकिन अब तक जेएसएलपीएस के माध्यम से 14,787 लाभुकों को ही चिह्नित किया जा सका है। इसमें 2118 लाभुक प्रीमिटिव श्रेणी के हैं। जहां तक लाभुकों को चिह्नित करने का सवाल है, उसमें सबसे बदतर स्थिति जरमुंडी की है। यहां तय लक्ष्य 2980 है, जिसके विरुद्ध अब तक 999 लाभुक चिह्नित किए जा सके हैं। रामगढ़ प्रखंड की स्थिति भी ठीक नहीं है। यहां 2990 लाभुकों का चयन होना है, लेकिन अबतक 1330 लाभुक ही चिह्नित किए जा सके हैं। सरैयाहाट की स्थिति भी गड़बड़ है। यहां 2900 के विरुद्ध 1348 लाभुकों को चिह्नित किया गया है। जबकि जामा का भी हाल बुरा है।
जामा में 2700 के विरुद्ध 1228 लाभुकों को ही चिह्नित किया जा सका है। इस मामले में जेएसपीएलएस की डीपीएम आसियानी मार्की से संपर्क करने की कोशिशें बेकार साबित हुई। उनके मोबाइल नंबर पर लगातार कॉल किए जाने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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ये है प्रखंडवार लक्ष्य व चिह्नित किए गए लाभुक
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प्रखंड - लक्ष्य - चिह्नित किए गए लाभुक - पीवीटीजी परिवार
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काठीकुंड - 1350 - 1433 - 112
दुमका - 2300 - 2346 - 127
रानीश्वर - 1700 - 1634 - 159
मसलिया - 2700 - 2424 - 334
शिकारीपाड़ा - 1600 - 1400 - 351
गोपीकांदर - 780 - 645 - 563
सरैयाहाट - 2900 - 1348 - 24
जामा - 2700 - 1228 - 266
रामगढ़ - 2990 - 1330 - 50
जरमुंडी - 2980 - 999 - 132 ---------------------------------------------
ये है दीदीबाड़ी योजना के लाभुकों के लिए तय मापदंड: तय ब्लूप्रिट के मुताबिक, चिह्नित लाभुक अपने घर के आसपास की जमीन पर अपने परिवार के पोषण के लिए सब्जियां व फलों की खेती कर सकेंगे। ऐसे चिह्नित लाभुक, जो भूमिहीन होंगे उनका दो से पांच लोगों का समूह बनाकर सार्वजनिक जमीन पर ग्राम सभा से अनुमति लेकर खेती कराने की पहल की जाएगी। चिह्नित लाभुकों को पोषण के बारे में जानकारी दी जाएगी। इन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि इस योजना से जोड़कर लाभुकों को न सिर्फ पोषणयुक्त खाद्य उपलब्ध कराई जाए, बल्कि इसे आजीविका का भी साधन बनाया जाए।
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ये है चयन की प्रक्रिया: योजना के तहत लाभुकों का चयन राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से किया जाएगा। अति गरीब परिवारों को योजना में प्राथमिकता दी जाएगी। योजना का अनुमोदन ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत के जरिए किया जाएगा। चयनित लाभुकों को योजना के तहत एक विततीय वर्ष में 100 मानव दिवस का कार्य देने का भी प्रविधान किया गया है। इसमें इनसे माह में सात से 15 दिन का काम लिया जाएगा और पोषणयुक्त भोजन के बारे में जानकारी दी जाएगी। कार्य के लिए मास्टर रोल प्रखंड के द्वारा मनरेगा प्रावधान के अनुरूप निर्गत किया जाएगा। प्रशिक्षण राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से दिया जाएगा।