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किसानों के लिए खेती उद्योग नहीं, बल्कि इनकी संस्कृति: बादल

किसानों के लिए खेती उद्योग नही बल्कि इनकी संस्कृति है। अन्नदाता किसानों को कृषि ऋणधारक नहीं बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है। किसान परंपरागत खेती में समय के साथ बदलाव करते हुए उन्नत व आधुनिक व वैज्ञानिक पद्धति से खेती करें।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 08:04 PM (IST)
किसानों के लिए खेती उद्योग नहीं, बल्कि इनकी संस्कृति: बादल
किसानों के लिए खेती उद्योग नहीं, बल्कि इनकी संस्कृति: बादल

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: किसानों के लिए खेती उद्योग नही, बल्कि इनकी संस्कृति है। अन्नदाता किसानों को कृषि ऋणधारक नहीं बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत, सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है। किसान परंपरागत खेती में समय के साथ बदलाव करते हुए उन्नत व आधुनिक व वैज्ञानिक पद्धति से खेती करें। यह बातें सोमवार को सूबे के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने जरमुंडी प्रखंड सह अंचल कार्यालय के समीप आयोजित जिला स्तरीय किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी का बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन करते हुए कही।

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कृषि मंत्री ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन हुए 20 वर्ष से अधिक समय बीत गए हैं, लेकिन अब तक झारखंड सरकार की कृषि नीति व वार्षिक कैलेंडर नहीं बन सका है। इस कार्य को उनके स्तर से यथाशीघ्र पूरा किया जाएगा। कहा कि अब किसानों को उन्नत पद्धति से खेती के प्रशिक्षण के साथ उत्पादित वस्तुओं के विक्रय के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। कहा कि किसान सरकार की योजनाओं का भरपूर लाभ लें। कहा कि केंद्र सरकार जनता के द्वारा मिले बहुमत का गलत फायदा उठा रही है। कहा की राज्य सरकार कि यह सोच है कि अगला दशक एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए समर्पित रहे।

सिंचाई कूपों का होगा जीर्णोद्धार: उन्होंने जल जहान योजना के तहत पूर्व में बने सिचाई कूप के जीर्णोद्धार की बात कही। कहा कि पूर्व में केंद्र सरकार किसानों के बीमा करने के नाम पर तीन साल में 493 करोड़ ले गई। यह राशि केंद्र सरकार की आइडीबीआइ जैसी बीमा कंपनी ले गई, जबकि इसके एवज में बीमा कंपनी ने महज 89 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया है। कहा कि राज्य सरकार ने पहली बार किसानों के लिए 100 करोड़ की फसल राहत योजना प्रारंभ की है। अपने रिसोर्स से किसानों के लिए विकासोन्मुखी योजना बनाई है। आने वाले समय में राज्य के 40 लाख में 10 लाख किसानों को हॉर्टीकल्चर के तहत आच्छादित कर उन्नतशील व आर्थिक रूप से मजबूत किसान बनाया जाएगा। इसके अलावा चार साल में राज्य के सभी जिलों से कुल 24 लाख बिरसा किसान बनाने के लक्ष्य की जानकारी दी।

कार्यक्रम को प्रशिक्षु आइएएस दीपक कुमार दुबे, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष श्यामल सिंह, प्रखंड अध्यक्ष श्यामसुंदर मोदी, जिला परिषद सदस्य चंद्रशेखर यादव, आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. देवेश कुमार सिंह, उप परियोजना निदेशक संजय कुमार मंडल, कृषि विज्ञान केंद्र दुमका के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. अजय कुमार द्विवेदी, भूमि संरक्षण पदाधिकारी सुबोध कुमार सिंह, जिला मत्स्य पदाधिकारी रवि रंजन ने भी संबोधित किया।

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अनुदानित दर पर कृषि यंत्र व परिसंपत्तियों का किया वितरण: इस दौरान लाभुकों के बीच अनुदानित दर पर कृषि यंत्र, झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के तहत ऋण माफी व अन्य लाभुकों के बीच परिसंपत्ति का वितरण किया गया। मौके पर कौशल्या देवी एवं संजय यादव के बीच अनुदानित दर पर कृषि यंत्र का वितरण किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत महेंद्र मांझी व भूपेंद्र मांझी के बीच पाइप का वितरण, झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के तहत कृषक मंगलेश राय का एक रुपये के भुगतान पर कृषि ऋण को माफ किया गया। इसके अलावे भी कई लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया गया।

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इन विभागों के लगे थे स्टॉल: राष्ट्रीय कृषि बाजार, ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि प्रदर्शनी में सब्जी प्रभाग, फसल प्रभाग, फल प्रभाग, मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग, कृषि उत्पादन संगठन, कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, रेशम विभाग, पौधा संरक्षण विभाग, भूमि संरक्षण विभाग सहित अन्य स्टाल लगाए गए थे।

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कार्यक्रम में ये थे मौजूद: बासुकीनाथ नगर पंचायत के उपाध्यक्ष अमित साह उर्फ छोटू साह, विधायक प्रतिनिधि सत्यनारायण यादव, जरमुंडी प्रखंड विकास पदाधिकारी फुलेश्वर मुर्मू, शिवलाल सोरेन, बलराम सोरेन, अरुण प्रकाश, वार्ड पार्षद पांचू दास, भरत कापरी, मुकेश यादव, अनुज कुशवाहा, पप्पू दर्बे, कौशल यादव, कांग्रेस के जिला महासचिव कुंदन पत्रलेख, बंटी राव, मिथिलेश मिश्रा, प्रकाश यादव, विजय यादव, अंचल निरीक्षक मनोज कुमार, एसडीपीओ उमेश सिंह, जरमुंडी थाना प्रभारी सह पुलिस निरीक्षक अतिन कुमार, श्याम सुंदर मोदी, रोहित रंजन, मिथलेश मिश्रा, रसिक सोरेन, बाबूराम मुर्मू, निरंजन मंडल, जयकांत मंडल समेत कई मौजूद थे।


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