चंद्रग्रहण के कारण पांच बजे के बाद पट हुआ बंद
बासुकीनाथ आषाढ़ पूíणमा मंगलवार के दिन लगनेवाले चंद्र ग्रहण को लेकर बाबा बासुकीनाथ मंदिर में संध्या पांच बजे के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। संध्याकालीन श्रृंगार पूजन के बाद बाबा बासुकीनाथ माता पार्वती सहित सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए जो दूसरे दिन बुधवार को प्रात पांच बजे खुलेंगे।
बासुकीनाथ : आषाढ़ पूíणमा मंगलवार के दिन लगनेवाले चंद्र ग्रहण को लेकर बाबा बासुकीनाथ मंदिर में संध्या पांच बजे के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। संध्याकालीन श्रृंगार पूजन के बाद बाबा बासुकीनाथ, माता पार्वती सहित सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए जो दूसरे दिन बुधवार को प्रात: पांच बजे खुलेंगे। चंद्रग्रहण का समय मंगलवार रात्रि 1 बजकर 31 से लेकर बुधवार प्रात: 4 बजकर 30 मिनट तक है। चंद्रग्रहण को लेकर दिवाकालीन श्रृंगार पूजा के पूर्व बाबा बासुकीनाथ में भक्तों की पूजा-अर्चना रोक दी गई। बासुकीनाथ मंदिर के सरकारी पुजारी पंडित दिनेश झा के द्वारा विधिविधान से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना व श्रृंगार पूजा के उपरांत बाबा बासुकीनाथ मंदिर सहित परिसर के विभिन्न मंदिरों का कपाट बंद कर दिए गए। चंद्रग्रहण को लेकर बासुकीनाथ मंदिर का पट बुधवार सुबह तक के लिए बंद हुआ। इस अवसर पर ग्रहण को लेकर मंदिर बंद होने की सूचना से अनजान हजारों कांवरिया बाबा बासुकीनाथ मंदिर के सिंह द्वार पर पहुंचे। कितु मंदिर बंद होने के कारण जलार्पण नहीं कर पाए। जलार्पण से वंचित सभी कांवरिया बुधवार की सुबह जलार्पण कर पाएंगे।
ग्रहणकाल में इष्टदेव का करें स्मरण
--
बासुकीनाथ मंदिर के कुंडली विशेषज्ञ पंडित प्यारेलाल गैरोला, आशुतोष झा, मणिकांत झा मन्नौ बाबा ने बताया कि सूर्यग्रहण हो या चंद्रग्रहण सूतक लगने के बाद से और सूतक समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिए। मंदबुद्धि, बीमार, वृद्ध बालक पर यह दोष उतना नहीं लगता है। ग्रहण के वक्त पत्ते, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। ग्रहण के वक्त बाल नहीं कटवाना चाहिए। ग्रहण के वक्त सोने से रोग पकड़ता है। ग्रहण मोक्ष के उपरांत पवित्र सरोवर, तालाब, गंगा नदी अथवा अन्य पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए एवं यथाशक्ति दान, ध्यान का कर्म करना चाहिए। इससे घर में स्मृद्धि आती है। ग्रहण के वक्त कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए और नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। ग्रहण के वक्त अगर संभव हो तो पके हुए भोजन को ढककर रखें, साथ ही उसमें तुलसी की पत्ती, जल में कुश डाल दें। ग्रहण काल के वक्त भक्तों को अपने इष्टदेव का स्मरण एवं मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। बासुकीनाथ मंदिर में ग्रहण काल के समय दर्जनों पंडा, पुरोहित मंदिर परिसर में ध्यान मग्न होकर अपने इष्टदेव की आराधना में लगे रहे।