अनुष्ठान पूर्वक टिकापहाड़ी में 32 संताली बच्चों का किया गया छठियार
सदर प्रखंड दुमका के टिकापहाड़ी गांव में मंगलवार को संताल समुदाय का धार्मिक अनुष्ठान छठियार धूमधाम से मनाया गया। छठियार का अनुष्ठान गुरु बाबा महादेव हेंब्रम ने संपन्न कराया। इस मौके पर धर्म गुरु ने 32 बच्चों के लिए प्रार्थना की।
जागरण संवाददाता, दुमका: सदर प्रखंड दुमका के टिकापहाड़ी गांव में मंगलवार को संताल समुदाय का धार्मिक अनुष्ठान छठियार धूमधाम से मनाया गया। छठियार का अनुष्ठान गुरु बाबा महादेव हेंब्रम ने संपन्न कराया। इस मौके पर धर्म गुरु ने 32 बच्चों के लिए प्रार्थना की।
संताल समुदाय में बिना छठियार के किसी की शादी नहीं हो सकती है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी भी उम्र के पुरुष या महिला का छठियार नहीं हुआ है तो उसके द्वारा किसी भी प्रकार की पूजा ईष्ट देवता व पूर्वज ग्रहण नहीं करते हैं। इतना ही नहीं, छठियार के बिना निधन होने पर स्वर्ग में जगह भी नहीं मिलती है।
मांझी बाबा बबलू हेंब्रम के मुताबिक संताल समुदाय में छठियार दो प्रकार से मनाया जाता है। पहला जोनोम छठियार और दूसरा चाचू छठियार। जोनोम छठियार बच्चे के जन्म के तीन से पांच दिनों के अंदर मनाया जाता है, जबकि शादी से ठीक पहले होने वाले छठियार को चाचू छठियार के नाम से जाना जाता है। समारोह में बबलू हेंब्रम, सोनालाल हेंब्रम, प्रेम मुर्मू, पागन हेंब्रम, अशोक हेंब्रम, ओमप्रकाश हेंब्रम, प्रीतम हेंब्रम, शीला हेंब्रम, आशा हेंब्रम, नेहा टुडू, उदिल टुडू, श्रीलाल टुडू, बिटी हेंब्रम, साइमन हेंब्रम, मनोज हेंब्रम, शोले हेंब्रम समेत कई मौजूद थे।
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छठियार में ईष्ट देवों की होती है पूजा: छठियार के दौरान ईष्ट देवी-देवताओं व पूर्वजों के नाम पर पूजा और प्रार्थना की जाती है। मौके पर गांव को चलाने वाले लिखाहोड़, नायकी, मांझी बाबा, गुड़ित, पराणिक व भक्तों को इनकी धर्मपत्नियों के साथ सबसे पहले इनके शरीर में तेल और माथा व कान में सिदूर लगाया जाता है। बच्चे के जन्म के समय सहयोग करने वाली महिला धाय बूढ़ी बच्चे को पानी छिड़ककर नहलाती व शुद्धीकरण कराती है। फिर बच्चों को तेल लगाती है। इसके बाद धर्म गुरु इनके दीर्घायु समेत कुशलक्षेम के लिए प्रार्थना करते हैं।