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कीड़े खा गए नौनिहालों का निवाला

बासुकीनाथ जरमुंडी बीआरसी भवन में सालभर से नौनिहालों के नाम पर आई दाल कीड़े चट कर गए। विभागीय लापरवाही के कारण दाल किसी काम की नहीं रही। पिछले साल से रखी दाल प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालयों को दी जानी थी। मिड डे मील में उपयोग न करने के कारण सारी दाल में कीड़ लग गए। बच्चों की दाल उनतक सिर्फ इसीलिए नहीं पहुंच पाई क्योंकि दाल के उठाव के लिए बीआरसी के शिक्षा पदाधिकारियों को मोटा कमीशन नहीं मिला। जरमुंडी प्रखंड में शिक्षा विभाग के अंदर खाने में कमीशन खोरी और लूट खसोट की परंपरा किस कदर हावी है यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है 30 से 35 क्विटल चने की दाल बर्बाद होना। दाल कीड़े खाते रहे और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भनक तक नहीं लगी। विगत माह में भी जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में चावल के अभाव के कारण स्कूलों में मध्याह्न भोजन महीनों बंद रहे जबकि प्रखंड मुख्यालय स्थित गोदाम में मध्यान भोजन का चावल सड़ता रहा। 

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 07:01 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 07:01 PM (IST)
कीड़े खा गए नौनिहालों का निवाला
कीड़े खा गए नौनिहालों का निवाला

बासुकीनाथ : जरमुंडी बीआरसी भवन में सालभर से नौनिहालों के नाम पर आई दाल कीड़े चट कर गए। विभागीय लापरवाही के कारण दाल किसी काम की नहीं रही। पिछले साल से रखी दाल प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालयों को दी जानी थी। मिड डे मील में उपयोग न करने के कारण सारी दाल में कीड़ लग गए। बच्चों की दाल उनतक सिर्फ इसीलिए नहीं पहुंच पाई क्योंकि दाल के उठाव के लिए बीआरसी के शिक्षा पदाधिकारियों को मोटा कमीशन नहीं मिला। जरमुंडी प्रखंड में शिक्षा विभाग के अंदर खाने में कमीशन खोरी और लूट खसोट की परंपरा किस कदर हावी है, यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है, 30 से 35 क्विटल चने की दाल बर्बाद होना। दाल कीड़े खाते रहे और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भनक तक नहीं लगी। विगत माह में भी जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में चावल के अभाव के कारण स्कूलों में मध्याह्न भोजन महीनों बंद रहे जबकि प्रखंड मुख्यालय स्थित गोदाम में मध्यान भोजन का चावल सड़ता रहा।  नियमानुसार मध्याह्न भोजन का चावल विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, खाना बनानेवाली संयोजिका उठाती हैं लेकिन  बीईईओ छकुलाल मूर्मू ने विद्यालय के सचिव और शिक्षकों को बुलाकर चावल का वितरण किया। खबर छपने और मीडिया कर्मियों की दबिश के कारण चावल का वितरण किया जा सका। चावल वितरण के दौरान निर्धारित चावल की जगह कम चावल देने की भी कई विद्यालय प्रबंधन द्वारा पुष्टि की गई।

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आठ महीने से बीआरसी में पड़ी रही किताबें, छात्रों को नहीं बांटी गई

 यह बताते चलें कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सरकार स्कूली बच्चों को निश्शुल्क किताबें उपलब्ध कराती रही हैं। कितु जरमुंडी प्रखंड में बच्चों को उनकी आवंटित लाखों रुपये की किताबें उन्हें वितरित नहीं की गई। शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण जरमुंडी मध्य विद्यालय में ज्ञान सेतु की पुस्तकें रखी-रखी ही सड़ गई। पुस्तकों की दुर्दशा से स्थानीय पदाधिकारियों की सरकारी शिक्षा के प्रति उनकी मंशा स्पष्ट हो जाती है। इस संदर्भ में जब जरमुंडी के बीईईओ छकुलाल मुर्मू को फोन पर संपर्क किया गया, तो काफी प्रयास के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

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डीएसई ने किया था बीआरसी का निरीक्षण

बच्चों के भविष्य को लेकर स्थानीय अभिभावकों की चिता को लेकर की गई शिकायत के बाद डीएसई मारिया गैरेती तिर्की ने सोमवार को जरमुंडी कन्या व बालक मध्य विद्यालय और जरमुंडी बीआरसी भवन की जांच भी की थी। उन्होंने बीआरसी भवन में रखी गई पुस्तकें और बर्बाद होती दालें भी देखी। कितु न तो कोई विभागीय कार्यवाई की और ना ही इस ओर कोई ध्यान ही दिया।

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वर्जन

दूसरी लाट में अधिक पुस्तक आने के कारण वितरण नहीं किया जा सका। जो पुस्तकें अच्छी हैं उन्हें स्कूल की लाइब्रेरी में देने का निर्देश दिया गया है। खराब दाल के बारे में किसी तरह की सूचना नहीं है। जानकारी लेकर ही लापरवाह लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

मारिया गैरेती तिर्की, जिला शिक्षा अधीक्षक


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