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बांस की ज्वेलरी ने दी आíथक मजबूती

दुमका बांस मेला में मध्यप्रदेश सतना के मंझगांवा से कैलाश वर्मा बांस की ज्वेलरी लेकर आए हैं। पहले दिन एक हजार रुपया की बिक्री किया। कहा कि वह 32 साल से इस वंशानुगत व्यवसाय से जुड़े हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 07:19 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 07:19 PM (IST)
बांस की ज्वेलरी ने दी आíथक मजबूती
बांस की ज्वेलरी ने दी आíथक मजबूती

दुमका : बांस मेला में मध्यप्रदेश सतना के मंझगांवा से कैलाश वर्मा बांस की ज्वेलरी लेकर आए हैं। पहले दिन एक हजार रुपया की बिक्री किया। कहा कि वह 32 साल से इस वंशानुगत व्यवसाय से जुड़े हैं। दादाजी, पिताजी सूप, डलिया बनाते थे। वह भी इस व्यवसाय से जुड़े थे। 1993 में मध्यप्रदेश सरकार के ट्राईसेम योजना से जुड़े। उसके बाद मां दुर्गा समूह बनाया। एमपी बंबू मिशन से सहयोग मिला। बंबू प्रोसेसिग मशीन सरकार ने मुफ्त में दिया। अभी दो ग्रुप है, एक महिला का दूसरा पुरुषों का। महिलाएं ज्वेलरी, क्राफ्ट बनाती हैं। पुरुष कारीगर फर्नीचर व हाउसिग बनाते हैं। पांच हजार से दस हजार के बीच की कमाई हर महीने हर कारीगर की हो रही है। बने उत्पाद को बेचने के लिए सरकार ने भोपाल में एक इंपोरियम बनाकर दिया है। उससे ही समूह के बने प्रोडक्ट की बिक्री करते हैं। इंपोरियम के संचालन में केवल दस फीसद मेंटेनेंस खर्च देते हैं।

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