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फल-सब्जियों की परंपरागत प्रजातियों को बचाना जरूरी : डॉ. श्रीकांत

दुमका : कृषि विज्ञान केंद्र दुमका में पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण नई दिल्ली के संयु

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Mar 2018 08:30 PM (IST)Updated: Wed, 28 Mar 2018 08:30 PM (IST)
फल-सब्जियों की परंपरागत प्रजातियों को बचाना जरूरी : डॉ. श्रीकांत
फल-सब्जियों की परंपरागत प्रजातियों को बचाना जरूरी : डॉ. श्रीकांत

दुमका : कृषि विज्ञान केंद्र दुमका में पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को आयोजित जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में वरीय वैज्ञानिक सह केवीके के प्रधान डॉ. श्रीकांत ¨सह ने कहा कि किसानों को परंपरागत फल व सब्जियों की प्रजातियों को बचाने की जरुरत है। कहा कि धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, मडुआ, कुल्थी, आम समेत 147 फसलों, सब्जियों तथा फलों के स्थानीय व परंपरागत प्रजातियों को बचाने की अत्यंत आवश्यकता है।

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डॉ. श्रीकांत ने कहा कि इन फसलों के स्थानीय प्रजातियों को जो कि विशिष्ट गुणों के कारण प्रचलित है उन्हें किसी कृषक को उसके अधिकार से संरक्षित किया जाता है। यदि कोई कंपनी उस विशेष गुण का उपयोग करती है तो कृषक को भी इसका लाभ रायल्टी के तौर पर मिलता है। इस दौरान डॉ. श्रीकांत ने पौधों के विलुप्त होने के कगार पर स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण के महत्व की विस्तार से जानकारी दी। डॉ. संजय कुमार ने बताया कि प्राधिकरण ने पंजीकृत किस्मों के प्रजनकों द्वारा प्रस्तुत पैतृक वंशक्रमों सहित बीज ग्राम को स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना की गई है। डॉ. जयंत कुमार लाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने पौधा किस्म संरक्षण के लिए कई अधिकार प्रदान किए हैं। कृषकों के बिना अनुमति के उन बीज व पौधों को कोई अन्य व्यक्ति या कंपनी उसका व्यवसायिक उपयोग नहीं कर सकता है। कार्यक्रम में कृषकों द्वारा लाए गए सरसों, कुल्थी, मडुआ समेत कई बीजों का निबंधन फार्म भी भरवाया गया। इस दौरान किसानों को वीडियो फिल्म के जरिए उनके अधिकार एवं विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण के तरीकों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र ¨सह, सह निदेशक डॉ. बीके भगत, डॉ. सीमा ¨सह, डॉ. किरण मेरी कंडीर, डॉ. सुनील कुमार, जिला गव्य विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिन्हा, वैज्ञानिक डॉ. डब्ल्यू आइंद समेत बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।


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