किसानों के खिलाफ साजिश है कृषि विधेयक
मोदी सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान मजदूर छोटे दुकानदार और कर्मचारियों की आजीविका पर हमला बोला है। यह किसानों के खिलाफ एक साजिश है। केंद्र सरकार देश की हरित क्रांति को हराने का प्रयास कर रही है। देश के अन्नदाता किसान व मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, दुमका : मोदी सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार और कर्मचारियों की आजीविका पर हमला बोला है। यह किसानों के खिलाफ एक साजिश है। केंद्र सरकार देश की हरित क्रांति को हराने का प्रयास कर रही है। देश के अन्नदाता, किसान व मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
ये बातें शनिवार को कांग्रेस के जोनल प्रभारी सुल्तान अहमद ने परिसदन में कही। उन्होनें कहा कि देश के 62 करोड़ किसान मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन काले कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार सब एतराज को दरकिनार कर देश को बरगला रही है। किसान तो दूर संसद में प्रतिनिधियों की आवाज को दबाया जा रहा है। संसद में संविधान का गला घोटा जा रहा है। मोदी सरकार कहती है कि किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच सकते हैं। यह बात पूरी तरह से झूठ है। सच यह है कि कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक देश के 86 फीसद किसान पांच एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मल्कियत दो एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 फीसद किसान उपज को नजदीक मंडी के अलावा किसी और जगह ले जाकर नहीं बेच सकते हैं। मंडियां खत्म होते ही अनाज मंडी में काम करने वाले करोड़ों लोगों की आजीविका अपने आप ही खत्म हो जाएगी। कहा कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना चाहती है। ताकि एफसीआइ के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही नहीं करनी पड़े और सलाना एक लाख करोड़ की बचत हो। इसका सीधा असर खेत खलिहान पर पड़ेगा। मौके पर जिलाध्यक्ष श्यामल किशोर सिंह आदि मौजूद थे।