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माघी पूíणमा पर 85 हजार भक्तों ने किया जलार्पण

बासुकीनाथ भोलेनाथ की पावन नगरी बाबा बासुकीनाथ में माघी पूíणमा के पावन अवसर पर रविवार को भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। सात बजे तक करीब 85 हजार शिवभक्तों ने भोलेनाथ पर जलाभिषेक किया। रविवार को अहले सुबह तीन बजे सरकारी पुजारी के द्वारा बाबा मंदिर का पट खोलने के बाद एवं सरकारी पूजन में लगनेवाले करीब आधे घंटे के पश्चात मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया। इसके साथ ही भक्तों के द्वारा जलाभिषेक का जो दौर चला तो वह दोपहर साढ़े चार बजे दोपहर की विश्राम पूजा होने तक एक समान लगा रहा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 06:15 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 06:15 PM (IST)
माघी पूíणमा पर 85 हजार भक्तों ने किया जलार्पण
माघी पूíणमा पर 85 हजार भक्तों ने किया जलार्पण

बासुकीनाथ : भोलेनाथ की पावन नगरी बाबा बासुकीनाथ में माघी पूíणमा के पावन अवसर पर रविवार को भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। सात बजे तक करीब 85 हजार शिवभक्तों ने भोलेनाथ पर जलाभिषेक किया। रविवार को अहले सुबह तीन बजे सरकारी पुजारी के द्वारा बाबा मंदिर का पट खोलने के बाद एवं सरकारी पूजन में लगनेवाले करीब आधे घंटे के पश्चात मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया। इसके साथ ही भक्तों के द्वारा जलाभिषेक का जो दौर चला तो वह दोपहर साढ़े चार बजे दोपहर की विश्राम पूजा होने तक एक समान लगा रहा। भक्तों ने शिवगंगा में डुबकी लगाने के बाद ठिठुरते हुए भोलेनाथ की पूजा नेम निष्ठा के साथ की। भक्तों को सुलभ तरीके से जलार्पण कराने के लिए पुलिस की व्यवस्था की गई थी। मंदिर प्रभारी बीडीओ कुंदन भगत, एसडीपीओ अनिमेष नथानी, जरमुंडी थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह मंदिर की विधि व्यवस्था पर निगरानी रखे हुए थे। जामा, तालझारी एवं दुमका पुलिस लाईन से आए पुलिस व महिला बल के द्वारा महिलाओं तथा पुरूष श्रद्धालुओं को कतारबद्ध व्यवस्था से गर्भगृह में पूजन के लिए प्रवेश कराया गया। महिलाओं ने अपने लिए एवं अपने परिजनों के लिए बासुकीनाथ मेला क्षेत्र में मिलनेवाली श्रृंगार प्रसाधन सामग्री की भी जमकर खरीदारी की। इस पावन अवसर पर झारखंड, बिहार, बंगाल, दिल्ली, पंजाब, नेपाल समेत अन्य राज्यों से आए भक्तों का तांता लगा रहा।

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कल्पवास व माघी स्नान का समापन

--माघी पूíणमा के साथ ही पूरे एक माह से भक्तों के द्वारा किए जा रहे माघी स्नान एवं गंगा के किनारे किए जा रहे कल्पवास का समापन हो गया। उक्त दोनों कार्यक्रम पौष पूíणमा से चला आ रहा था, जिसका माघी पूíणमा के दिन भक्तों के द्वारा विधि-विधान पूर्वक निस्तार किया गया। पंडा पुरोहितों का मानना है कि इस तिथि को गंगा स्नान एवं पूजन पश्चात अन्न एवं वस्त्र दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।


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