क्रशर कार्यालय के लिए काटे सखुआ के 80 पेड़, जब्त
शिकारीपाड़ा शिकारीपाड़ा वन क्षेत्र के हाटपाड़ा मौजा में गुरूवार की रात लकड़ी माफियाओं ने क्रशर कार्यालय को बेचने के लिए सखुआ के करीब 80 पेड़ काट डाले। शुक्रवार को वन विभाग की टीम ने सारी लकड़ियों के साथ दो ट्रैक्टर को भी जब्त किया है। वन विभाग लकड़ी काटने वालों की पहचान कर रहा है। अगर इसमें क्रशर मालिकों की मिलीभगत सामने आयी तो उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
ग्राम वन रक्षा समिति के सदस्यों ने जब्त की लकड़ी
लकड़ी से मजदूरों के अस्थायी आवास के छत की ढलाई की जानी थी
संवाद सहयोगी, शिकारीपाड़ा : शिकारीपाड़ा वन क्षेत्र के हाटपाड़ा मौजा में गुरूवार की रात लकड़ी माफियाओं ने क्रशर कार्यालय को बेचने के लिए सखुआ के करीब 80 पेड़ काट डाले। शुक्रवार को वन विभाग की टीम ने सारी लकड़ियों के साथ दो ट्रैक्टर को भी जब्त किया है। वन विभाग लकड़ी काटने वालों की पहचान कर रहा है। अगर इसमें क्रशर मालिकों की मिलीभगत सामने आयी तो उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
बताया जाता है कि लकड़ी माफियाओं ने क्रशर कार्यालय में मजदूरों के लिए बनने वाले अस्थायी आवास की छत की ढलाई के लिए करीब 80 पेड़ काट डाले। कटाई के बाद सारी लकड़ी को झाड़ियों में छुपा दिया। सुबह माफिया लकड़ी को ट्रैक्टर में चढ़ा रहे थे, तभी वन रक्षा समिति की सदस्यों को इसकी भनक लग गई। सदस्यों ने इसकी जानकारी वनरक्षी तारिणी मंडल को दी। उनके नेतृत्व में टीम हाट पाड़ा पहुंची और सारी लकड़ियों को जब्त किया। टीम को आता देखकर लकड़ी काटने वाले भाग गए। वनरक्षी ने मौके पर से एक ट्रैक्टर लकड़ी जब्त की और जो रह गई, उसे वन रक्षा समिति को निगरानी के लिए दे दिया। लौटने के क्रम में टीम ने रास्ते में लकड़ी लदे एक ट्रैक्टर को भी पकड़ा। दोनों ट्रैक्टरों को वन परिसर में रखा गया है जिला पूर्वी के रेंजर विजय कुमार सिंह ने कहा कि वन अधिनियम के तहत दोषियों को चिन्हित करते हुए कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज कराया गया है। वर्जन
फिर से क्रशर कार्यालय खुल गए है। वहां पर मजदूरों के लिए जो आवास बनता है, उसकी छत की ढलाई लकड़ी से की जाती है। जांच में यह बात सामने आयी कि सारी लकड़ी क्रशर कार्यालय को भेजी जाने वाली थी। पेड़ काटने वाले कुछ लोगों का नाम सामने आया है। अगर इसमें क्रशर मालिक की मिलीभगत होगी, तो उन पर भी प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी।
सौरभ चंद्रा, डीएफओ, दुमका